25
फिर जब होमबलि चढ़ चुका, तब येहू ने पहरुओं उौर सरदारों से कहा, भीतर जा कर उन्हें मार डालो; कोई निकलने न पाए। तब उन्होंने उन्हें तलवार से मारा और पहरुए और सरदार उन को बाहर फेंक कर बाल के भवन के नगर को गए।
26
और उन्होंने बाल के भवन में की लाठें निकाल कर फूंक दीं।
27
और बाल की लाठ को उन्होंने तोड़ डाला; और बाल के भवन को ढाकर पायखाना बना दिया; और वह आज तक ऐसा ही है।
28
यों येहू ने बाल को इस्राएल में से नाश कर के दूर किया।
29
तौभी नबात के पुत्र यारोबाम, जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने, अर्थात बेतेल और दान में के सोने के बछड़ों की पूजा, उस से येहू अलग न हुआ।
30
और यहोवा ने येहू से कहा, इसलिये कि नू ने वह किया, जो मेरी दृष्टि में ठीक है, और अहाब के घराने से मेरी इच्छा के अनुसार बर्ताव किया है, तेरे पर पोते के पुत्र तक तेरी सन्तान इस्राएल की गद्दी पर विराजती रहेगी।
31
परन्तु येहू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी न की, वरन यारोबाम जिसने इस्राएल से पाप कराया था, उसके पापों के अनुसार करने से वह अलग न हुआ।
32
उन दिनों यहोवा इस्राएल को घटाने लगा, इसलिये हजाएल ने इस्राएल के उन सारे देशों में उन को मारा:
33
यरदन से पूरब की ओर गिलाद का सारा देश, और गादी और रूबेनी और मनश्शेई का देश अर्थात अरोएर से ले कर जो अर्नोन की तराई के पास है, गिलाद और बाशान तक।
34
येहू के और सब काम और जो कुछ उसने किया, और उसकी पूर्ण वीरता, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?
35
निदान येहू अपने पुरखाओं के संग सो गया, और शोमरोन में उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र यहोआहाज उसके स्थान पर राजा बन गया।
36
येहू के शोमरोन में इस्राएल पर राज्य करने का समय तो अट्ठाईस वर्ष का था।