चरण 153

पढाई करना

     

भजन संहिता 110

1 मेरे प्रभु से यहोवा की वाणी यह है, कि तू मेरे दाहिने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों की चौकी न कर दूं॥

2 तेरे पराक्रम का राजदण्ड यहोवा सिय्योन से बढ़ाएगा। तू अपने शत्रुओं के बीच में शासन कर।

3 तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं; तेरे जवान लोग पवित्रता से शोभायमान, और भोर के गर्भ से जन्मी हुई ओस के समान तेरे पास हैं।

4 यहोवा ने शपथ खाई और न पछताएगा, कि तू मेल्कीसेदेक की रीति पर सर्वदा का याजक है॥

5 प्रभु तेरी दाहिनी ओर होकर अपने क्रोध के दिन राजाओं को चूर कर देगा।

6 वह जाति जाति में न्याय चुकाएगा, रणभूमि लोथों से भर जाएगी; वह लम्बे चौड़े देश के प्रधान को चूर चूर कर देगा।

7 वह मार्ग में चलता हुआ नदी का जल पीएगा इस कारण वह सिर को ऊंचा करेगा॥

भजन संहिता 111

1 याह की स्तुति करो। मैं सीधे लोगों की गोष्ठी में और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से यहोवा का धन्यवाद करूंगा।

2 यहोवा के काम बड़े हैं, जितने उन से प्रसन्न रहते हैं, वे उन पर ध्यान लगाते हैं।

3 उसके काम का वैभवमय और ऐश्वरर्यमय होते हैं, और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।

4 उसने अपने आश्चर्यकर्मों का स्मरण कराया है; यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।

5 उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है; वह अपनी वाचा को सदा तक स्मरण रखेगा।

6 उसने अपनी प्रजा को अन्यजातियों का भाग देने के लिये, अपने कामों का प्रताप दिखाया है।

7 सच्चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं; उसके सब उपदेश विश्वासयोग्य हैं,

8 वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे, वे सच्चाई और सिधाई से किए हुए हैं।

9 उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है; उसने अपनी वाचा को सदा के लिये ठहराया है। उसका नाम पवित्र और भय योग्य है।

10 बुद्धि का मूल यहोवा का भय है; जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं, उनकी बुद्धि अच्छी होती है। उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी॥

भजन संहिता 112

1 याह की स्तुति करो। क्या ही धन्य है वह पुरूष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!

2 उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा; सीधे लोगों की सन्तान आशीष पाएगी।

3 उसके घर में धन सम्पत्ति रहती है; और उसका धर्म सदा बना रहेगा।

4 सीधे लोगों के लिये अन्धकार के बीच में ज्योति उदय होती है; वह अनुग्रहकारी, दयावन्त और धर्मी होता है।

5 जो पुरूष अनुग्रह करता और उधार देता है, उसका कल्याण होता है, वह न्याय में अपने मुकद्दमें को जीतेगा।

6 वह तो सदा तक अटल रहेगा; धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा।

7 वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है।

8 उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिये वह न डरेगा, वरन अपने द्रोहियों पर दृष्टि करके सन्तुष्ट होगा।

9 उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा और उसका सींग महिमा के साथ ऊंचा किया जाएगा।

10 दुष्ट उसे देख कर कुढेगा; वह दांत पीस- पीसकर गल जाएगा; दुष्टों की लालसा पूरी न होगी॥

भजन संहिता 113

1 याह की स्तुति करो हे यहोवा के दासों स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो!

2 यहोवा का नाम अब से ले कर सर्वदा तक धन्य कहा जाय!

3 उदयाचल से ले कर अस्ताचल तक, यहोवा का नाम स्तुति के योग्य है।

4 यहोवा सारी जातियों के ऊपर महान है, और उसकी महिमा आकाश से भी ऊंची है॥

5 हमारे परमेश्वर यहोवा के तुल्य कौन है? वह तो ऊंचे पर विराजमान है,

6 और आकाश और पृथ्वी पर भी, दृष्टि करने के लिये झुकता है।

7 वह कंगाल को मिट्टी पर से, और दरिद्र को घूरे पर से उठा कर ऊंचा करता है,

8 कि उसको प्रधानों के संग, अर्थात अपनी प्रजा के प्रधानों के संग बैठाए।

9 वह बांझ को घर में लड़कों की आनन्द करने वाली माता बनाता है। याह की स्तुति करो!