चरण 57

पढाई करना

     

व्यवस्थाविवरण 6:16-25

16 तुम अपने परमेश्वर यहोवा की परीक्षा न करना, जैसे कि तुम ने मस्सा में उसकी परीक्षा की थी।

17 अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं, चितौनियों, और विधियों को, जो उसने तुझ को दी हैं, सावधानी से मानना।

18 और जो काम यहोवा की दृष्टि में ठीक और सुहावना है वही किया करना, जिस से कि तेरा भला हो, और जिस उत्तम देश के विषय में यहोवा ने तेरे पूर्वजों से शपथ खाई उस में तू प्रवेश करके उसका अधिकारी हो जाए,

19 कि तेरे सब शत्रु तेरे साम्हने से दूर कर दिए जाएं, जैसा कि यहोवा ने कहा था॥

20 फिर आगे को जब तेरा लड़का तुझ से पूछे, कि ये चितौनियां और विधि और नियम, जिनके मानने की आज्ञा हमारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को दी है, इनका प्रयोजन क्या है?

21 तब अपने लड़के से कहना, कि जब हम मिस्र में फिरौन के दास थे, तब यहोवा बलवन्त हाथ से हम को मिस्र में से निकाल ले आया;

22 और यहोवा ने हमारे देखते मिस्र में फिरौन और उसके सारे घराने को दु:ख देने वाले बड़े बड़े चिन्ह और चमत्कार दिखाए;

23 और हम को वह वहां से निकाल लाया, इसलिये कि हमें इस देश में पहुंचाकर, जिसके विषय में उसने हमारे पूर्वजों से शपथ खाई थी, इस को हमें सौंप दे।

24 और यहोवा ने हमें ये सब विधियां पालने की आज्ञा दी, इसलिये कि हम अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और इस रीति सदैव हमारा भला हो, और वह हम को जीवित रखे, जैसा कि आज के दिन है।

25 और यदि हम अपने परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में उसकी आज्ञा के अनुसार इन सारे नियमों को मानने में चौकसी करें, तो वह हमारे लिये धर्म ठहरेगा॥

व्यवस्थाविवरण 7

1 फिर जब तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे उस देश में जिसके अधिकारी होने को तू जाने पर है पहुंचाए, और तेरे साम्हने से हित्ती, गिर्गाशी, एमोरी, कनानी, परिज्जी, हिव्वी, और यबूसी नाम, बहुत सी जातियों को अर्थात तुम से बड़ी और सामर्थी सातों जातियों को निकाल दे,

2 और तेरा परमेश्वर यहोवा उन्हें तेरे द्वारा हरा दे, और तू उन पर जय प्राप्त कर ले; तब उन्हें पूरी रीति से नष्ट कर डालना; उन से न वाचा बान्धना, और न उन पर दया करना।

3 और न उन से ब्याह शादी करना, न तो उनकी बेटी को अपने बेटे के लिये ब्याह लेना।

4 क्योंकि वे तेरे बेटे को मेरे पीछे चलने से बहकाएंगी, और दूसरे देवताओं की उपासना करवाएंगी; और इस कारण यहोवा का कोप तुम पर भड़क उठेगा, और वह तुझ को शीघ्र सत्यानाश कर डालेगा।

5 उन लोगों से ऐसा बर्ताव करना, कि उनकी वेदियों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्यों को काट काटकर गिरा देना, और उनकी खुदी हुई मूर्तियों को आग में जला देना।

6 क्योंकि तू अपने परमेश्वर यहोवा की पवित्र प्रजा है; यहोवा ने पृथ्वी भर के सब देशों के लोगों में से तुझ को चुन लिया है कि तू उसकी प्रजा और निज धन ठहरे।

7 यहोवा ने जो तुम से स्नेह करके तुम को चुन लिया, इसका कारण यह नहीं था कि तुम गिनती में और सब देशों के लोगों से अधिक थे, किन्तु तुम तो सब देशों के लोगों से गिनती में थोड़े थे;

8 यहोवा ने जो तुम को बलवन्त हाथ के द्वारा दासत्व के घर में से, और मिस्र के राजा फिरौन के हाथ से छुड़ाकर निकाल लाया, इसका यही करण है कि वह तुम से प्रेम रखता है, और उस शपथ को भी पूरी करना चाहता है जो उसने तुम्हारे पूर्वजों से खाई थी।

9 इसलिये जान रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा ही परमेश्वर है, वह विश्वासयोग्य ईश्वर है; और जो उस से प्रेम रखते और उसकी आज्ञाएं मानते हैं उनके साथ वह हजार पीढ़ी तक अपनी वाचा पालता, और उन पर करूणा करता रहता है;

10 और जो उस से बैर रखते हैं वह उनके देखते उन से बदला ले कर नष्ट कर डालता है; अपने बैरी के विषय में विलम्ब न करेगा, उसके देखते ही उस से बदला लेगा।

11 इसलिये इन आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को, जो मैं आज तुझे चिताता हूं, मानने में चौकसी करना॥

12 और तुम जो इन नियमों को सुनकर मानोगे और इन पर चलोगे, तो तेरा परमेश्वर यहोवा भी करूणामय वाचा को पालेगा जिसे उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी;

13 और वह तुझ से प्रेम रखेगा, और तुझे आशीष देगा, और गिनती में बढ़ाएगा; और जो देश उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर तुझे देने को कहा है उस में वह तेरी सन्तान पर, और अन्न, नये दाखमधु, और टटके तेल आदि, भूमि की उपज पर आशीष दिया करेगा, और तेरी गाय-बैल और भेड़-बकरियों की बढ़ती करेगा।

14 तू सब देशों के लोगों से अधिक धन्य होगा; तेरे बीच में न पुरूष न स्त्री निर्वंश होगी, और तेरे पशुओं में भी ऐसा कोई न होगा।

15 और यहोवा तुझ से सब प्रकार के रोग दूर करेगा; और मिस्र की बुरी बुरी व्याधियां जिन्हें तू जानता है उन में से किसी को भी तुझे लगने न देगा, ये सब तेरे बैरियों ही को लगेंगे।

16 और देश देश के जितने लोगों को तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे वश में कर देगा, तू उन सभों को सत्यानाश करना; उन पर तरस की दृष्टि न करना, और न उनके देवताओं की उपासना करना, नहीं तो तू फन्दे में फंस जाएगा।

17 यदि तू अपने मन में सोचे, कि वे जातियां जो मुझ से अधिक हैं; तो मैं उन को क्योंकर देश से निकाल सकूंगा?

18 तौभी उन से न डरना, जो कुछ तेरे परमेश्वर यहोवा ने फिरौन से और सारे मिस्र से किया उसे भली भांति स्मरण रखना।

19 जो बड़े बड़े परीक्षा के काम तू ने अपनी आंखों से देखे, और जिन चिन्हों, और चमत्कारों, और जिस बलवन्त हाथ, और बड़ाई हुई भुजा के द्वारा तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को निकाल लाया, उनके अनुसार तेरा परमेश्वर यहोवा उन सब लोगों से भी जिन से तू डरता है करेगा।

20 इस से अधिक तेरा परमेश्वर यहोवा उनके बीच बर्रें भी भेजेगा, यहां तक कि उन में से जो बचकर छिप जाएंगे वे भी तेरे साम्हने से नाश हो जाएंगे।

21 उस से भय न खाना; क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, और वह महान् और भय योग्य ईश्वर है।

22 तेरा परमेश्वर यहोवा उन जातियों को तेरे आगे से धीरे धीरे निकाल देगा; तो तू एक दम से उनका अन्त न कर सकेगा, नहीं तो बनैले पशु बढ़कर तेरी हानि करेंगे।

23 तौभी तेरा परमेश्वर यहोवा उन को तुझ से हरवा देगा, और जब तक वे सत्यानाश न हो जाएं तब तक उन को अति व्याकुल करता रहेगा।

24 और वह उनके राजाओं को तेरे हाथ में करेगा, और तू उनका भी नाम धरती पर से मिटा डालेगा; उन में से कोई भी तेरे साम्हने खड़ा न रह सकेगा, और अन्त में तू उन्हें सत्यानाश कर डालेगा।

25 उनके देवताओं की खुदी हुई मूर्तियां तुम आग में जला देना; जो चांदी वा सोना उन पर मढ़ा हो उसका लालच करके न ले लेना, नहीं तो तू उसके कारण फन्दे में फंसेगा; क्योंकि ऐसी वस्तुएं तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की दृष्टि में घृणित हैं।

26 और कोई घृणित वस्तु अपने घर में न ले आना, नहीं तो तू भी उसके समान नष्ट हो जाने की वस्तु ठहरेगा; उसे सत्यानाश की वस्तु जानकर उस से घृणा करना और उसे कदापि न चाहना; क्योंकि वह अशुद्ध वस्तु है।

व्यवस्थाविवरण 8

1 जो जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं उन सभों पर चलने की चौकसी करना, इसलिये कि तुम जीवित रहो और बढ़ते रहो, और जिस देश के विषय में यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाई है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ।

2 और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा वा नहीं।

3 उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।

4 इन चालीस वर्षों में तेरे वस्त्र पुराने न हुए, और तेरे तन से भी नहीं गिरे, और न तेरे पांव फूले।

5 फिर अपने मन में यह तो विचार कर, कि जैसा कोई अपने बेटे को ताड़ना देता है वैसे ही तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को ताड़ना देता है।

6 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करते हुए उसके मार्गों पर चलना, और उसका भय मानते रहना।

7 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है।

8 फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनरों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है।

9 उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा।

10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसका धन्य मानेगा।

11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे;

12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे,

13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए,

14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है,

15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला,

16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके अन्त में तेरा भला ही करे।

17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई।

18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।

19 यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लेगा, और उसकी उपासना और उन को दण्डवत करेगा, तो मैं आज तुम को चिता देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे।

20 जिन जातियों को यहोवा तुम्हारे सम्मुख से नष्ट करने पर है, उन्ही की नाईं तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा का वचन न मानने के कारण नष्ट हो जाओगे।

व्यवस्थाविवरण 9:1-21

1 हे इस्राएल, सुन, आज तू यरदन पार इसलिये जानेवाला है, कि ऐसी जातियों को जो तुझ से बड़ी और सामर्थी हैं, और ऐसे बड़े नगरों को जिनकी श्हरपनाह आकाश से बातें करती हैं, अपने अधिकार में ले ले।

2 उन में बड़े बड़े और लम्बे लम्बे लोग, अर्थात अनाकवंशी रहते हैं, जिनका हाल तू जानता है, और उनके विषय में तू ने यह सुना है, कि अनाकवशियों के साम्हने कौन ठहर सकता है?

3 इसलिये आज तू यह जान ले, कि जो तेरे आगे भस्म करने वाली आग की नाईं पार जाने वाला है वह तेरा परमेश्वर यहोवा है; और वह उनका सत्यानाश करेगा, और वह उन को तेरे साम्हने दबा देगा; और तू यहोवा के वचन के अनुसार उन को उस देश से निकाल कर शीघ्र ही नष्ट कर डालेगा।

4 जब तेरा परमेश्वर यहोवा उन्हें तेरे साम्हने से निकाल चुके तब यह न सोचना, कि यहोवा तेरे धर्म के कारण तुझे इस देश का अधिकारी होने को ले आया है, किन्तु उन जातियों की दुष्टता ही के कारण यहोवा उन को तेरे साम्हने से निकालता है।

5 तू जो उनके देश का अधिकारी होने के लिये जा रहा है, इसका कारण तेरा धर्म वा मन की सीधाई नहीं है; तेरा परमेश्वर यहोवा जो उन जातियों को तेरे साम्हने से निकालता है, उसका कारण उनकी दुष्टता है, और यह भी कि जो वचन उसने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों को शपथ खाकर दिया था, उसको वह पूरा करना चाहता है।

6 इसलिये यह जान ले कि तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझे वह अच्छा देश देता है कि तू उसका अधिकारी हो, उसे वह तेरे धर्म के कारण नहीं दे रहा है; क्योंकि तू तो एक हठीली जाति है।

7 इस बात का स्मरण रख और कभी भी न भूलना, कि जंगल में तू ने किस किस रीति से अपने परमेश्वर यहोवा को क्रोधित किया; और जिस देश से तू मिस्र देश से निकला है जब तक तुम इस स्थान पर न पहुँचे तब तक तुम यहोवा से बलवा ही बलवा करते आए हो।

8 फिर होरेब के पास भी तुम ने यहोवा को क्रोधित किया, और वह क्रोधित हो कर तुम्हें नष्ट करना चाहता था।

9 जब मैं उस वाचा के पत्थर की पटियाओं को जो यहोवा ने तुम से बान्धी थी लेने के लिये पर्वत के ऊपर चढ़ गया, तब चालीस दिन और चालीस रात पर्वत ही के ऊपर रहा; और मैं ने न तो रोटी खाई न पानी पिया।

10 और यहोवा ने मुझे अपने ही हाथ की लिखी हुई पत्थर की दोनों पटियाओं को सौंप दिया, और वे ही वचन जिन्हें यहोवा ने पर्वत के ऊपर आग के मध्य में से सभा के दिन तुम से कहे थे वे सब उन पर लिखे हुए थे।

11 और चालीस दिन और चालीस रात के बीत जाने पर यहोवा ने पत्थर की वे दो वाचा की पटियाएं मुझे दे दीं।

12 और यहोवा ने मुझ से कहा, उठ, यहां से झटपट नीचे जा; क्योकिं तेरी प्रजा के लोग जिन को तू मिस्र से निकाल कर ले आया है वे बिगड़ गए हैं; जिस मार्ग पर चलने की आज्ञा मैं ने उन्हें दी थी उसको उन्होंने झटपट छोड़ दिया है; अर्थात उन्होंने तुरन्त अपने लिये एक मूर्ति ढालकर बना ली है।

13 फिर यहोवा ने मुझ से यह भी कहा, कि मैं ने उन लोगो को देख लिया, वे हठीली जाति के लोग हैं;

14 इसलिये अब मुझे तू मत रोक, ताकि मैं उन्हें नष्ट कर डालूं, और धरती के ऊपर से उनका नाम वा चिन्ह तक मिटा डालूं, और मैं उन से बढ़कर एक बड़ी और सामर्थी जाति तुझी से उत्पन्न करूंगा।

15 तब मैं उलटे पैर पर्वत से नीचे उतर चला, और पर्वत अग्नि से दहक रहा था; और मेरे दोनों हाथों में वाचा की दोनों पटियाएं थीं।

16 और मैं ने देखा कि तुम ने अपने परमेश्वर यहोवा के विरुद्ध महापाप किया; और अपने लिये एक बछड़ा ढालकर बना लिया है, और तुरन्त उस मार्ग से जिस पर चलने की आज्ञा यहोवा ने तुम को दी थी उसको तुम ने तज दिया।

17 तब मैं ने उन दोनों पटियाओं को अपने दोनों हाथों से ले कर फेंक दिया, और तुम्हारी आंखों के साम्हने उन को तोड़ डाला।

18 तब तुम्हारे उस महापाप के कारण जिसे करके तुम ने यहोवा की दृष्टि में बुराई की, और उसे रीस दिलाई थी, मैं यहोवा के साम्हने मुंह के बल गिर पड़ा, और पहिले की नाईं, अर्थात चालीस दिन और चालीस रात तक, न तो रोटी खाई और न पानी पिया।

19 मैं तो यहोवा के उस कोप और जल-जलाहट से डर रहा था, क्योंकि वह तुम से अप्रसन्न हो कर तुम्हें सत्यानाश करने को था। परन्तु यहोवा ने उस बार भी मेरी सुन ली।

20 और यहोवा हारून से इतना क्रोधित हुआ कि उसे भी सत्यानाश करना चाहा; परन्तु उसी समय मैं ने हारून के लिये भी प्रार्थना की।

21 और मैं ने वह बछड़ा जिसे बनाकर तुम पापी हो गए थे ले कर, आग में डालकर फूंक दिया; और फिर उसे पीस पीसकर ऐसा चूर चूरकर डाला कि वह धूल की नाईं जीर्ण हो गया; और उसकी उस राख को उस नदी में फेंक दिया जो पर्वत से निकलकर नीचे बहती थी।