चरण 72

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यहोशू 21:13-45

13 तब उन्होंने हारून याजक के वंश को चराइयों समेत खूनी के शरण नगर हेब्रोन, और अपनी अपनी चराइयों समेत लिब्ना,

14 यत्तीर, एशतमो,

15 होलोन, दबीर, ऐन,

16 युत्ता और बेतशेमेश दिए; इस प्रकार उन दोनों गोत्रों के भागों में से नौ नगर दिए गए।

17 और बिन्यामीन के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत ये चार नगर दिए गए, अर्थात गिबोन, गेबा,

18 अनातोत और अल्मोन

19 इस प्रकार हारूनवंशी याजकों को तेरह नगर और उनकी चराईयां मिली॥

20 फिर बाकी कहाती लेवियों के कुलों के भाग के नगर चिट्ठी डाल डालकर एप्रैम के गोत्र के भाग में से दिए गए।

21 अर्थात उन को चराइयों समेत एप्रैम के पहाड़ी देश में खूनी शरण लेने का शकेम नगर दिया गया, फिर अपनी अपनी चराइयों समेत गेजेर,

22 किबसैम, और बेथोरोन; ये चार नगर दिए गए।

23 और दान के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत, एलतके, गिब्बतोन,

24 अय्यालोन, और गत्रिम्मोन; ये चार नगर दिए गए।

25 और मनश्शे के आधे गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत तानाक और गत्रिम्मोन; ये दो नगर दिए गए।

26 इस प्रकार बाकी कहातियों के कुलों के सब नगर चराइयों समेत दस ठहरे॥

27 फिर लेवियों के कुलों में के गेर्शोनियों को मनश्शे के आधे गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत खूनी के शरण नगर बाशान का गोलान और बेशतरा; ये दो नगर दिए गए।

28 और इस्साकार के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत किश्योन, दाबरत,

29 यर्मूत, और एनगन्नीम; ये चार नगर दिए गए।

30 और आशेर के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत मिशाल, अब्दोन,

31 हेल्कात, और रहोब; ये चार नगर दिए गए।

32 और नप्ताली के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत खूनी के शरण नगर गलील का केदेश, फिर हम्मोतदोर, और कर्तान; ये तीन नगर दिए गए।

33 गेर्शोनियों के कुलों के अनुसार उनके सब नगर अपनी अपनी चराइयों समेत तेरह ठहरे॥

34 फिर बाकी लेवियों, अर्थात मरारियों के कुलों को जबूलून के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत योक्नाम, कर्ता,

35 दिम्ना, और नहलाल; ये चार नगर दिए गए।

36 और रूबेन के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत बेसेर, यहसा,

37 केदेमोत, और मेपात; ये चार नगर दिए गए।

38 और गाद के गोत्र के भाग में से अपनी अपनी चराइयों समेत खूनी के शरण नगर गिलाद में का रामोत, फिर महनैम,

39 हेशबोन, और याजेर, जो सब मिलाकर चार नगर हैं दिए गए।

40 लेवियों के बाकी कुलों अर्थात मरारियों के कुलों के अनुसार उनके सब नगर ये ही ठहरे, इस प्रकार उन को बारह नगर चिट्ठी डाल डालकर दिए गए॥

41 इस्राएलियों की निज भूमि के बीच लेवियों के सब नगर अपनी अपनी चराइयों समेत अड़तालीस ठहरे।

42 ये सब नगर अपने अपने चारों ओर की चराइयों के साथ ठहरे; इन सब नगरों की यही दशा थी॥

43 इस प्रकार यहोवा ने इस्राएलियों को वह सारा देश दिया, जिसे उसने उनके पूर्वजों से शपथ खाकर देने को कहा था; और वे उसके अधिकारी हो कर उस में बस गए।

44 और यहोवा ने उन सब बातों के अनुसार, जो उसने उनके पूर्वजों से शपथ खाकर कही थीं, उन्हें चारों ओर से विश्राम दिया; और उनके शत्रुओं में से कोई भी उनके साम्हने टिक न सका; यहोवा ने उन सभों को उनके वश में कर दिया।

45 जितनी भलाई की बातें यहोवा ने इस्राएल के घराने से कही थीं उन में से कोई भी न छूटी; सब की सब पूरी हुई॥

यहोशू 22

1 उस समय यहोशू ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों को बुलवाकर कहा,

2 जो जो आज्ञा यहोवा के दास मूसा ने तुम्हें दी थीं वे सब तुम ने मानी हैं, और जो जो आज्ञा मैं ने तुम्हें दी हैं उन सभों को भी तुम ने माना है;

3 तुम ने अपने भाइयों को इस मुद्दत में आज के दिन तक नहीं छोड़ा, परन्तु अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा तुम ने चौकसी से मानी है।

4 और अब तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे भाइयों को अपने वचन के अनुसार विश्राम दिया है; इसलिये अब तुम लौटकर अपने अपने डेरों को, और अपनी अपनी निज भूमि में, जिसे यहोवा के दास मूसा ने यरदन पार तुम्हें दिया है चले जाओ।

5 केवल इस बात की पूरी चौकसी करना कि जो जो आज्ञा और व्यवस्था यहोवा के दास मूसा ने तुम को दी है उसको मानकर अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखो, उसके सारे मार्गों पर चलो, उसकी आज्ञाएं मानों, उसकी भक्ति मे लौलीन रहो, और अपने सारे मन और सारे प्राण से उसकी सेवा करो।

6 तब यहोशू ने उन्हें आशीर्वाद देकर विदा किया; और वे अपने अपने डेरे को चले गए॥

7 मनश्शे के आधे गोत्रियों को मूसा ने बासान में भाग दिया था; परन्तु दूसरे आधे गोत्र को यहोशू ने उनके भाइयों के बीच यरदन के पश्चिम की ओर भाग दिया। उन को जब यहोशू ने विदा किया कि अपने अपने डेरे को जाएं,

8 तब उन को भी आशीर्वाद देकर कहा, बहुत से पशु, और चांदी, सोना, पीतल, लोहा, और बहुत से वस्त्र और बहुत धन-सम्पित लिए हुए अपने अपने डेरे को लौट आओ; और अपने शत्रुओं की लूट की सम्पत्ति को अपने भाइयों के संग बांट लेना॥

9 तब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री इस्राएलियों के पास से, अर्थात कनान देश के शीलो नगर से, अपनी गिलाद नाम निज भूमि में, जो मूसा से दिलाई हुई, यहोवा की आज्ञा के अनुसार उनकी निज भूमि हो गई थी, जाने की मनसा से लौट गए।

10 और जब रूबेनी, गादी, और मनश्शे के आधे गोत्री यरदन की उस तराई में पहुंचे जो कनान देश में है, तब उन्होंने वहां देखने के योग्य एक बड़ी वेदी बनाईं।

11 और इसका समाचार इस्राएलियों के सुनने में आया, कि रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने कनान देश के साम्हने यरदन की तराई में, अर्थात उसके उस पार जो इस्राएलियों का है, एक वेदी बनाई है।

12 जब इस्राएलियों ने यह सुना, तब इस्राएलियों की सारी मण्डली उन से लड़ने के लिये चढ़ाई करने को शीलो में इकट्ठी हुई॥

13 तब इस्राएलियों ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास गिलाद देश में एलीआज़र याजक के पुत्र पीनहास को,

14 और उसके संग दस प्रधानों को, अर्थात इस्राएल के एक एक गोत्र में से पूर्वजों के घरानों के एक एक प्रधान को भेजा, और वे इस्राएल के हजारों में अपने अपने पूर्वजों के घरानों के मुख्य पुरूष थे।

15 वे गिलाद देश में रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों के पास जा कर कहने लगे,

16 यहोवा की सारी मण्डली यह कहती है, कि तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया; आज जो तुम ने एक वेदी बना ली है, इस में तुम ने उसके पीछे चलना छोड़कर उसके विरुद्ध आज बलवा किया है?

17 सुनो, पोर के विषय का अधर्म हमारे लिये कुछ कम था, यद्दपि यहोवा की मण्डली को भारी दण्ड मिला तौभी आज के दिन तक हम उस अधर्म से शुद्ध नहीं हुए; क्या वह तुम्हारी दृष्टि में एक छोटी बात है,

18 कि आज तुम यहोवा को त्यागकर उसके पीछे चलना छोड़ देते हो? क्या तुम यहोवा से फिर जाते हो, और कल वह इस्राएल की सारी मण्डली पर क्रोधित होगा।

19 परन्तु यदि तुम्हारी निज भूमि अशुद्ध हो, तो पार आकर यहोवा की निज भूमि में, जहां यहोवा का निवास रहता है, हम लोगों के बीच में अपनी अपनी निज भूमि कर लो; परन्तु हमारे परमेश्वर यहोवा की वेदी को छोड़ और कोई वेदी बनाकर न तो यहोवा से बलवा करो, और न हम से।

20 देखो, जब जेरह के पुत्र आकान ने अर्पण की हुई वस्तु के विषय में विश्वासघात किया, तब क्या यहोवा का कोप इस्राएल की पूरी मण्डली पर न भड़का? और उस पुरूष के अधर्म का प्राणदण्ड अकेले उसी को न मिला॥

21 तब रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों ने इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूषों को यह उत्तर दिया,

22 कि यहोवा जो ईश्वरों का परमेश्वर है, ईश्वरों का परमेश्वर यहोवा इस को जानता है, और इस्राएली भी इसे जान लेंगे, कि यदि यहोवा से फिरके वा उसका विश्वासघात करके हम ने यह काम किया हो, तो तू आज हम को जीवित न छोड़,

23 यदि आज के दिन हम ने वेदी को इसलिये बनाया हो कि यहोवा के पीछे चलना छोड़ दें, वा इसलिये कि उस पर होमबलि, अन्नबलि, वा मेलबलि चढ़ाएं, तो यहोवा आप इसका हिसाब ले;

24 परन्तु हम ने इसी विचार और मनसा से यह किया है कि कहीं भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने लगे, कि तुम को इस्राएल के परमेश्वर यहोवा से क्या काम?

25 क्योंकि, हे रूबेनियों, हे गादियों, यहोवा ने जो हमारे और तुम्हारे बीच में यरदन को हद्द ठहरा दिया है, इसलिये यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है। ऐसा कहकर तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान में से यहोवा का भय छुड़ा देगी।

26 इसीलिये हम ने कहा, आओ, हम अपने लिये एक वेदी बना लें, वह होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं,

27 परन्तु इसलिये कि हमारे और तुम्हारे, और हमारे बाद हमारे और तुम्हारे वंश के बीच में साक्षी का काम दे; इसलिये कि हम होमबलि, मेलबलि, और बलिदान चढ़ाकर यहोवा के सम्मुख उसकी उपासना करें; और भविष्य में तुम्हारी सन्तान हमारी सन्तान से यह न कहने पाए, कि यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं।

28 इसलिये हम ने कहा, कि जब वे लोग भविष्य में हम से वा हमारे वंश से यों कहने लेगें, तब हम उन से कहेंगे, कि यहोवा के वेदी के नमूने पर बनी हुई इस वेदी को देखो, जिसे हमारे पुरखाओं ने होमबलि वा मेलबलि के लिये नहीं बनाया; परन्तु इसलिये बनाया था कि हमारे और तुम्हारे बीच में साक्षी का काम दे।

29 यह हम से दूर रहे कि यहोवा से फिरकर आज उसके पीछे चलना छोड़ दें, और अपने परमेश्वर यहोवा की उस वेदी को छोड़कर जो उसके निवास के साम्हने है होमबलि, और अन्नबलि, वा मेलबलि के लिये दूसरी वेदी बनाएं॥

30 रूबेनियों, गादियों, और मनश्शे के आधे गोत्रियों की इन बातों को सुनकर पीनहास याजक और उसके संग मण्डली के प्रधान, जो इस्राएल के हजारों के मुख्य पुरूष थे, वे अति प्रसन्न हुए।

31 और एलीआजर याजक के पुत्र पीनहास ने रूबेनियों, गादियों, और मनश्शेइयों से कहा, तुम ने जो यहोवा का ऐसा विश्वासघात नहीं किया, इस से आज हम ने यह जान लिया कि यहोवा हमारे बीच में है: और तुम लोगों ने इस्राएलियों को यहोवा के हाथ से बचाया है।

32 तब एलीआज़र याजक का पुत्र पीनहास प्रधानों समेत रूबेनियों और गादियों के पास से गिलाद होते हुए कनान देश में इस्राएलियों के पास लौट गया: और यह वृतान्त उन को कह सुनाया।

33 तब इस्राएली प्रसन्न हुए; और परमेश्वर को धन्य कहा, और रूबेनियों और गादियों से लड़ने और उनके रहने का देश उजाड़ने के लिये चढ़ाई करने की चर्चा फिर न की।

34 और रूबेनियों और गादियों ने यह कहकर, कि यह वेदी हमारे और उनके मध्य में इस बात का साक्षी ठहरी है, कि यहोवा ही परमेश्वर है: उस वेदी का नाम एद रखा॥

यहोशू 23

1 इसके बहुत दिनों के बाद, जब यहोवा ने इस्राएलियों को उनके चारों ओर के शत्रुओं से विश्राम दिया, और यहोशू बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया,

2 तब यहोशू सब इस्राएलियों को, अर्थात पुरनियों, मुख्य पुरूषों, न्यायियों, और सरदारों को बुलवाकर कहने लगा, मैं तो अब बूढ़ा और बहुत आयु का हो गया हूं;

3 और तुम ने देखा कि तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे निमित्त इन सब जातियों से क्या क्या किया है, क्योंकि जो तुम्हारी ओर लड़ता आया है वह तुम्हारा परमेश्वर यहोवा है।

4 देखो, मैं ने इन बची हुई जातियों को चिट्ठी डाल डालकर तुम्हारे गोत्रों का भाग कर दिया है; और यरदन से ले कर सूर्यास्त की ओर के बड़े समुद्र तक रहने वाली उन सब जातियों को भी ऐसा ही दिया है, जिन को मैं ने काट डाला है।

5 और तुम्हारा परमेश्वर यहोवा उन को तुम्हारे साम्हने से उनके देश से निकाल देगा; और तुम अपने परमेश्वर यहोवा के वचन के अनुसार उनके देश के अधिकारी हो जाओगे।

6 इसलिये बहुत हियाव बान्धकर, जो कुछ मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखा है उसके पूरा करने में चौकसी करना, उस से न तो दाहिने मुड़ना और न बाएं।

7 ये जो जातियां तुम्हारे बीच रह गई हैं इनके बीच न जाना, और न इनके देवताओं के नामों की चर्चा करना, और न उनकी शपथ खिलाना, और न उनकी उपासना करना, और न उन को दण्डवत करना,

8 परन्तु जैसे आज के दिन तक तुम अपने परमेश्वर यहोवा की भक्ति में लवलीन रहते हो, वैसे ही रहा करना।

9 यहोवा ने तुम्हारे साम्हने से बड़ी बड़ी और बलवन्त जतियां निकाली हैं; और तुम्हारे साम्हने आज के दिन तक कोई ठहर नहीं सका।

10 तुम में से एक मनुष्य हजार मनुष्यों को भगाएगा, क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा अपने वचन के अनुसार तुम्हारी ओर से लड़ता है।

11 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम रखने की पूरी चौकसी करना।

12 क्योंकि यदि तुम किसी रीति यहोवा से फिरकर इन जातियों के बाकी लोगों से मिलने लगो जो तुम्हारे बीच बचे हुए रहते हैं, और इन से ब्याह शादी करके इनके साथ समधियाना रिश्ता जोड़ो,

13 तो निश्चय जान लो कि आगे को तुम्हारा परमेश्वर यहोवा इन जातियों को तुम्हारे सामहने से नहीं निकालेगा; और ये तुम्हारे लिये जाल और फंदे, और तुम्हारे पांजरों के लिये कोड़े, और तुम्हारी आंखों में कांटे ठहरेगी, और अन्त में तुम इस अच्छी भूमि पर से जो तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दी है नष्ट हो जाओगे।

14 सुनो, मैं तो अब सब संसारियों की गति पर जाने वाला हूं, और तुम सब अपने अपने हृदय और मन में जानते हो, कि जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।

15 तो जैसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की कही हुई सब भलाई की बातें तुम पर घटी है, वैसे ही यहोवा विपत्ति की सब बातें भी तुम पर घटाते घटाते तुम को इस अच्छी भूमि के ऊपर से, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हें दिया है, सत्यानाश कर डालेगा।

16 जब तुम उस वाचा को, जिसे तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम को आज्ञा देकर अपने साथ बन्धाया है, उल्लंघन करके पराये देवताओं की उपासना और उन को दण्डवत करने लगो, तब यहोवा का कोप तुम पर भड़केगा, और तुम इस अच्छे देश में से जिसे उसने तुम को दिया है शीघ्र नाश जो जाओगे॥

यहोशू 24

1 फिर यहोशू ने इस्राएल के सब गोत्रों को शकेम में इकट्ठा किया, और इस्राएल के वृद्ध लोगों, और मुख्य पुरूषों, और न्यायियों, और सरदारों को बुलवाया; और वे परमेश्वर के साम्हने उपस्थित हुए।

2 तब यहोशू ने उन सब लोगों से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा इस प्रकार कहता है, कि प्राचीन काल में इब्राहीम और नाहोर का पिता तेरह आदि, तुम्हारे पुरखा परात महानद के उस पार रहते हुए दूसरे देवताओं की उपासना करते थे।

3 और मैं ने तुम्हारे मूलपुरूष इब्राहीम को महानद के उस पार से ले आकर कनान देश के सब स्थानों में फिराया, और उसका वंश बढ़ाया। और उसे इसहाक को दिया;

4 फिर मैं ने इसहाक को याकूब और ऐसाव दिया। और ऐसाव को मैं ने सेईर नाम पहाड़ी देश दिया कि वह उसका अधिकारी हो, परन्तु याकूब बेटों-पोतों समेत मिस्र को गया।

5 फिर मैं ने मूसा और हारून को भेज कर उन सब कामों के द्वारा जो मैं ने मिस्र में किए उस देश को मारा; और उसके बाद तुम को निकाल लाया।

6 और मैं तुम्हारे पुरखाओं को मिस्र में से निकाल लाया, और तुम समुद्र के पास पहुंचे; और मिस्रियोंने रथ और सवारों को संग ले कर लाल समुद्र तक तुम्हारा पीछा किया।

7 और जब तुम ने यहोवा की दोहाई दी तब उसने तुम्हारे और मिस्रियों के बीच में अन्धियारा कर दिया, और उन पर समुद्र को बहाकर उन को डुबा दिया; और जो कुछ मैं ने मिस्र में किया उसे तुम लोगों ने अपनी आंखों से देखा; फिर तुम बहुत दिन तक जंगल में रहे।

8 तब मैं तुम को उन एमोरियों के देश में ले आया, जो यरदन के उस पार बसे थे; और वे तुम से लड़े और मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया, और तुम उनके देश के अधिकारी हो गए, और मैं ने उन को तुम्हारे साम्हने से सत्यानाश कर डाला।

9 फिर मोआब के राजा सिप्पोर का पुत्र बालाक उठ कर इस्राएल से लड़ा; और तुम्हें शाप देने के लिये बोर के पुत्र बिलाम को बुलवा भेजा,

10 परन्तु मैं ने बिलाम की सुनने के लिये नाहीं की; वह तुम को आशीष ही आशीष देता गया; इस प्रकार मैं ने तुम को उसके हाथ से बचाया।

11 तब तुम यरदन पार हो कर यरीहो के पास आए, और जब यरीहो के लोग, और एमोरी, परिज्जी, कनानी, हित्ती, गिर्गाशी, हिब्बी, और यबूसी तुम से लड़े, तब मैं ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया।

12 और मैं ने तुम्हारे आगे बर्रों को भेजा, और उन्होंने एमोरियों के दोनों राजाओं को तुम्हारे साम्हने से भगा दिया; देखो, यह तुम्हारी तलवार वा धनुष का काम नहीं हुआ।

13 फिर मैं ने तुम्हें ऐसा देश दिया जिस में तुम ने परिश्रम न किया था, और ऐसे नगर भी दिए हैं जिन्हें तुम ने न बसाया था, और तुम उन में बसे हो; और जिन दाख और जलपाई के बगीचों के फल तुम खाते हो उन्हें तुम ने नहीं लगाया था।

14 इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर करके यहोवा की सेवा करो।

15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।

16 तब लोगों ने उत्तर दिया, यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करनी हम से दूर रहे;

17 क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा वही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासत्व के घर, अर्थात मिस्र देश से निकाल ले आया, और हमारे देखते बड़े बड़े आश्चर्य कर्म किए, और जिस मार्ग पर और जितनी जातियों के मध्य में से हम चले आते थे उन में हमारी रक्षा की;

18 और हमारे साम्हने से इस देश में रहनेवाली एमोरी आदि सब जातियों को निकाल दिया है; इसलिये हम भी यहोवा की सेवा करेंगे, क्योंकि हमारा परमेश्वर वही है।

19 यहोशू ने लोगों से कहा, तुम से यहोवा की सेवा नहीं हो सकती; क्योंकि वह पवित्र परमेश्वर है; वह जलन रखनेवाला ईश्वर है; वह तुम्हारे अपराध और पाप क्षमा न करेगा।

20 यदि तुम यहोवा को त्यागकर पराए देवताओं की सेवा करने लगोगे, तो यद्दपि वह तुम्हारा भला करता आया है तौभी वह फिरकर तुम्हारी हानि करेगा और तुम्हारा अन्त भी कर डालेगा।

21 लोगों ने यहोशू से कहा, नहीं; हम यहोवा ही की सेवा करेंगे।

22 यहोशू ने लोगों से कहा, तुम आप ही अपने साक्षी हो कि तुम ने यहोवा की सेवा करनी अंगीकार कर ली है। उन्होंने कहा, हां, हम साक्षी हैं।

23 यहोशू ने कहा, अपने बीच पराए देवताओं को दूर करके अपना अपना मन इस्राएल के परमेश्वर की ओर लगाओ।

24 लोगों ने यहोशू से कहा, हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही की सेवा करेंगे, और उसी की बात मानेंगे।

25 तब यहोशू ने उसी दिन उन लोगों से वाचा बन्धाई, और शकेम में उनके लिये विधि और नियम ठहराया॥

26 यह सारा वृत्तान्त यहोशू ने परमेश्वर की व्यवस्था की पुस्तक में लिख दिया; और एक बड़ा पत्थर चुनकर वहां उस बांज वृक्ष के तले खड़ा किया, जो यहोवा के पवित्र स्थान में था।

27 तब यहोशू ने सब लोगों से कहा, सुनो, यह पत्थर हम लोगों का साक्षी रहेगा, क्योंकि जितने वचन यहोवा ने हम से कहें हैं उन्हें इस ने सुना है; इसलिये यह तुम्हारा साक्षी रहेगा, ऐसा न हो कि तुम अपने परमेश्वर से मुकर जाओ।

28 तब यहोशू ने लोगों को अपने अपने निज भाग पर जाने के लिये विदा किया॥

29 इन बातों के बाद यहोवा का दास, नून का पुत्र यहोशू, एक सौ दस वर्ष का हो कर मर गया।

30 और उसको तिम्नत्सेरह में, जो एप्रैम के पहाड़ी देश में गाश नाम पहाड़ की उत्तर अलंग पर है, उसी के भाग में मिट्टी दी गई।

31 और यहोशू के जीवन भर, और जो वृद्ध लोग यहोशू के मरने के बाद जीवित रहे और जानते थे कि यहोवा ने इस्राएल के लिये कैसे कैसे काम किए थे, उनके भी जीवन भर इस्राएली यहोवा ही की सेवा करते रहे।

32 फिर यूसुफ की हड्डियां जिन्हें इस्राएली मिस्र से ले आए थे वे शकेम की भूमि के उस भाग में गाड़ी गईं, जिसे याकूब ने शकेम के पिता हामोर से एक सौ चांदी के सिक्कों में मोल लिया था; इसलिये वह यूसुफ की सन्तान का निज भाग हो गया।

33 और हारून का पुत्र एलीआज़र भी मर गया; और उसको एप्रैम के पहाड़ी देश में उस पहाड़ी पर मिट्टी दी गई, जो उसके पुत्र पीनहास के नाम पर गिबत्पीनहास कहलाती है और उसको दे दी गई थी॥