चरण 17: The Marriage of the King's Son

 

पढाई करना

     

मत्ती 22:1-15

1 इस पर यीशु फिर उन से दृष्टान्तों में कहने लगा।

2 स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने पुत्र का ब्याह किया।

3 और उस ने अपने दासों को भेजा, कि नेवताहारियों को ब्याह के भोज में बुलाएं; परन्तु उन्होंने आना न चाहा।

4 फिर उस ने और दासों को यह कहकर भेजा, कि नेवताहारियों से कहो, देखो; मैं भोज तैयार कर चुका हूं, और मेरे बैल और पले हुए पशु मारे गए हैं: और सब कुछ तैयार है; ब्याह के भोज में आओ।

5 परन्तु वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को।

6 औरों ने जो बच रहे थे उसके दासों को पकड़कर उन का अनादर किया और मार डाला।

7 राजा ने क्रोध किया, और अपनी सेना भेजकर उन हत्यारों को नाश किया, और उन के नगर को फूंक दिया।

8 तब उस ने अपने दासों से कहा, ब्याह का भोज तो तैयार है, परन्तु नेवताहारी योग्य न ठहरे।

9 इसलिये चौराहों में जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को ब्याह के भोज में बुला लाओ।

10 सो उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे, क्या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठे किया; और ब्याह का घर जेवनहारों से भर गया।

11 जब राजा जेवनहारों के देखने को भीतर आया; तो उस ने वहां एक मनुष्य को देखा, जो ब्याह का वस्त्र नहीं पहिने था।

12 उस ने उससे पूछा हे मित्र; तू ब्याह का वस्त्र पहिने बिना यहां क्यों आ गया? उसका मुंह बन्द हो गया।

13 तब राजा ने सेवकों से कहा, इस के हाथ पांव बान्धकर उसे बाहर अन्धियारे में डाल दो, वहां रोना, और दांत पीसना होगा।

14 क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं॥

15 तब फरीसियों ने जाकर आपस में विचार किया, कि उस को किस प्रकार बातों में फंसाएं।