Gradus 238

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यिर्मयाह 21

1 यह वचन यहोवा की ओर से यिर्मयाह के पास उस समय पहुंचा जब सिदकिय्याह राजा ने उसके पास मल्किय्याह के पुत्र पशहूर और मासेयाह याजक के पुत्र सपन्याह के हाथ से यह कहला भेजा कि,

2 हमारे लिये यहोवा से पूछ, क्योंकि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर हमारे विरुद्ध युद्ध कर रहा है; कदाचित यहोवा हम से अपने सब आश्चर्यकर्मों के अनुसार ऐसा व्यवहार करे कि वह हमारे पास से उठ जाए।

3 तब यिर्मयाह ने उन से कहा, तुम सिदकिय्याह से यों कहो, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है,

4 देखो, युद्ध के जो हथियार तुम्हारे हाथों में है, जिन से तुम बाबुल के राजा और शहरपनाह के बाहर घेरने वाले कसदियों से लड़ रहे हो, उन को मैं लौटा कर इस नगर के बीच में इकट्ठा करूंगा;

5 और मैं स्वयं हाथ बढ़ा कर और बलवन्त भुजा से, और क्रोध और जलजलाहट और बड़े क्रोध में आ कर तुम्हारे विरुद्ध लडूंगा।

6 और मैं इस नगर के रहने वालों को क्या मनुष्य, क्या पशु सब को मार डालूंगा; वे बड़ी मरी से मरेंगे।

7 और उसके बाद, यहोवा की यह वाणी है, हे यहूदा के राजा सिदकिय्याह, मैं तुझे, तेरे कर्मचारियों और लोगों को वरन जो लोग इस नगर में मरी, तलवार और महंगी से बचे रहेंगे उन को बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उनके प्राण के शत्रुओं के वश में कर दूंगा। वह उन को तलवार से मार डालेगा; उन पर न तो वह तरस खाएगा, न कुछ कोमलता दिखाएगा और न कुछ दया करेगा।

8 और इस प्रजा के लोगों से कह कि यहोवा यों कहता है, देखो, मैं तुम्हारे साम्हने जीवन का मार्ग और मृत्यु का मार्ग भी बताता हूँ।

9 जो कोई इस नगर में रहे वह तलवार, महंगी और मरी से मरेगा; परन्तु जो कोई निकल कर उन कसदियों के पास जो तुम को घेर रहे हैं भाग जाए वह जीवित रहेगा, और उसका प्राण बचेगा।

10 क्योंकि यहोवा की यह वाणी है कि मैं ने इस नगर की ओर अपना मुख भलाई के लिये नहीं, वरन बुराई ही के लिये किया है; यह बाबुल के राजा के वश में पड़ जाएगा, और वह इस को फुंकवा देगा।

11 ओर यहूदा के राजकुल के लोगों से कह, यहोवा का वचन सुनो,

12 हे दाऊद के घराने! यहोवा यों कहता है, भोर को न्याय चुकाओ, और लुटे हुए को अंधेर करने वाले के हाथ से छुड़ाओ, नहीं तो तुम्हारे बुरे कामों के कारण मेरे क्रोध की आग भड़केगी, और ऐसी जलती रहेगी कि कोई उसे बुझा न सकेगा।

13 हे तराई में रहने वाली और समथर देश की चट्टान; तुम जो कहते हो कि हम पर कौन चढ़ाई कर सकेगा, और हमारे वासस्थान में कौन प्रवेश कर सकेगा? यहोवा कहता है कि मैं तुम्हारे विरुद्ध हूँ।

14 और यहोवा की वाणी है कि मैं तुम्हें दण्ड देकर तुम्हारे कामों का फल तुम्हें भुगताऊंगा। मैं उसके वन में आग लगाऊंगा, और उसके चारों ओर सब कुछ भस्म हो जाएगा।

यिर्मयाह 22

1 यहोवा ने यों कहा, यहूदा के राजा के भवन में उतर कर यह वचन कह,

2 हे दाऊद की गद्दी पर विराजमान यहूदा के राजा, तू अपने कर्मचारियों और अपनी प्रजा के लोगों समेत जो इन फाटकों से आया करते हैं, यहोवा का वचन सुन।

3 यहोवा यों कहता है, न्याय और धर्म के काम करो; और लुटे हुए को अन्धेर करने वाले के हाथ से छुड़ाओ। और परदेशी, अनाथ और विधवा पर अन्धेर व उपद्रव मत करो, न इस स्थान में निर्दोषों का लोहू बहाओ।

4 देखो, यदि तुम ऐसा करोगे, तो इस भवन के फाटकों से हो कर दाऊद की गद्दी पर विराजमान राजा रथों और घोड़ों पर चढ़े हुए अपने अपने कर्मचारियों और प्रजा समेत प्रवेश किया करेंगे।

5 परन्तु, यदि तुम इन बातों को न मानो तो, मैं अपनी ही सौगन्ध खाकर कहता हूँ, यहोवा की यह वाणी है, कि यह भवन उजाड़ हो जाएगा।

6 क्योंकि यहोवा यहूदा के राजा के इस भवन के विषय में यों कहता है, तू मुझे गिलाद देश सा और लबानोन के शिखर सा दिखाई पड़ता है, परन्तु निश्चय मैं तुझे मरुस्थल व एक निर्जन नगर बनाऊंगा।

7 मैं नाश करने वालों को हथियार देकर तेरे विरुद्ध भेजूंगा; वे तेरे सुन्दर देवदारों को काट कर आग में झोंक देंगे।

8 और जाति जाति के लोग जब इस नगर के पास से निकलेंगे तब एक दूसरे से पूछेंगे, यहोवा ने इस बड़े नगर की ऐसी दशा क्यों की है?

9 तब लोग कहेंगे, इसका कारण यह हे कि उन्होंने अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा को तोड़ कर दूसरे देवताओं को दण्डवत की और उनकी उपासना भी की।

10 मरे हुओं के लिये मत रोओ, उसके लिये विलाप मत करो। उसी के लिये फूट फूटकर रोओ जो परदेश चला गया है, क्योंकि वह लौट कर अपनी जन्मभूमि को फिर कभी देखने न पाएगा।

11 क्योंकि यहूदा के राजा योशिय्याह का पुत्र शल्लूम, जो अपने पिता योशिय्याह के स्थान पर राजा था और इस स्थान से निकल गया, उसके विषय में यहोवा यों कहता है कि वह फिर यहां लौट कर न आने पाएगा।

12 वह जिस स्थान में बंधुआ हो कर गया है उसी में मर जाएगा, और इस देश को फिर कभी देखने न पाएगा।

13 उस पर हाय जो अपने घर को अधर्म से और अपनी उपरौठी कोठरियों को अन्याय से बनवाता है; जो अपने पड़ोसी से बेगारी में काम कराता है और उसकी मज़दूरी नहीं देता।

14 वह कहता है, मैं अपने लिये लम्बा-चौड़ा घर और हवादार कोठा बना लूंगा, और वह खिड़कियां बना कर उन्हें देवदार की लकड़ी से पाट लेता है, और सिन्दूर से रंग देता है।

15 तू जो देवदार की लकड़ी का अभिलाषी है, क्या इस रीति से तेरा राज्य स्थिर रहेगा। देख, तेरा पिता न्याय और धर्म के काम करता था, और वह खाता पीता और सुख से भी रहता था!

16 वह इस कारण सुख से रहता था क्योंकि वह दीन और दरिद्र लोगों का न्याय चुकाता था। क्या यही मेरा ज्ञान रखना नहीं है? यहोवा की यह वाणी है।

17 परन्तु तू केवल अपना ही लाभ देखता है, और निर्दोषों की हत्या करने और अन्धेर और उपद्रव करने में अपना मन और दृष्टि लगाता है।

18 इसलिये योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के विषय में यहोवा यह कहता है, कि जैसे लोग इस रीति से कह कर रोते हैं, हाय मेरे भाई, हाय मेरी बहिन! इस प्रकार कोई हाय मेरे प्रभु वा हाय तेरा वैभव कह कर उसके लिये विलाप न करेगा।

19 वरन उसको गदहे की नाईं मिट्टी दी जाएगी, वह घसीट कर यरूशलेम के फाटकों के बाहर फेंक दिया जाएगा।

20 लबानोन पर चढ़कर हाय हाय कर, तब बाशान जा कर ऊंचे स्वर से चिल्ला; फिर अबारीम पहाड़ पर जा कर हाय-हाय कर, क्योंकि तेरे सब मित्र नाश हो गए हैं।

21 तेरे सुख के समय मैं ने तुझ को चिताया था, परन्तु तू ने कहा, मैं तेरी न सुनूंगी। युवावस्था ही से तेरी चाल ऐसी है कि तू मेरी बात नहीं सुनती।

22 तेरे सब चरवाहे वायु से उड़ाए जाएंगे, और तेरे मित्र बंधुआई में चले जाएंगे; निश्चय तू उस समय अपनी सारी बुराइयों के कारण लज्जित होगी और तेरा मुंह काला हो जाएगा।

23 हे लबानोन की रहने वाली, हे देवदार में अपना घोंसला बनाने वालो, जब तुझ को जच्चा की सी पीड़ाएं उठें तब तू व्याकुल हो जाएगी!

24 यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, चाहे यहोयाकीम का पुत्र यहूदा का राजा कोन्याह, मेरे दाहिने हाथ की अंगूठी भी होता, तोभी मैं उसे उतार फेंकता।

25 मैं तुझे तेरे प्राण के खोजियों के हाथ, और जिन से तू डरता है उनके अर्थात बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और कसदियों के हाथ में कर दूंगा।

26 मैं तुझे तेरी जननी समेत एक पराए देश में जो तुम्हारी जन्मभूमि नहीं है फेंक दूंगा, और तुम वहीं मर जाओगे।

27 परन्तु जिस देश में वे लौटने की बड़ी लालसा करते हैं, वहां कभी लौटने न पाएंगे।

28 क्या, यह पुरुष कोन्याह तुच्छ और टूटा हुआ बर्तन है? क्या यह निकम्मा बर्तन है? फिर वह वंश समेत अनजाने देश में क्यों निकाल कर फेंक दिया जाएगा?

29 हे पृथ्वी, पृथ्वी, हे पृथ्वी, यहोवा का वचन सुन!

30 यहोवा यों कहता है कि इस पुरुष को निर्वंश लिखो, उसका जीवनकाल कुशल से न बीतेगा; और न उसके वंश में से कोई भाग्यवान हो कर दाऊद की गद्दी पर विराजमान वा यहूदियों पर प्रभुता करनेवाला होगा।

यिर्मयाह 23

1 उन चरवाहों पर हाय जो मेरी चराई की भेड़-बकरियों को तितर-बितर करते ओर नाश करते हैं, यहोवा यह कहता है।

2 इसलिये इस्राएल का परमेश्वर यहोवा अपनी प्रजा के चरवाहों से यों कहता है, तुम ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, वरन उन को तितर-बितर किया और बरबस निकाल दिया है, इस कारण यहोवा की यह वाणी है कि मैं तुम्हारे बुरे कामों का दण्ड दूंगा।

3 तब मेरी भेड़-बकरियां जो बची हैं, उन को मैं उन सब देशों में से जिन में मैं ने उन्हें बरबस भेज दिया है, स्वयं ही उन्हें लौटा लाकर उन्हीं की भेड़शाला में इकट्ठा करूंगा, और वे फिर फूलें-फलेंगी।

4 मैं उनके लिये ऐसे चरवाहे नियुक्त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएंगी, यहोवा की यह वाणी है।

5 यहोवा की यह भी वाणी है, देख ऐसे दिन आते हैं जब मैं दाऊद के कुल में एक धमीं अंकुर उगाऊंगा, और वह राजा बनकर बुद्धि से राज्य करेगा, और अपने देश में न्याय और धर्म से प्रभुता करेगा।

6 उसके दिनों में यहूदी लोग बचे रहेंगे, और इस्राएली लोग निडर बसे रहेंगे: और यहोवा उसका नाम यहोवा “हमारी धामिर्कता” रखेगा।

7 सो देख, यहोवा की यह वाणी है कि ऐसे दिन आएंगे जिन में लोग फिर न कहेंगे, कि “यहोवा जो हम इस्राएलियों को मिस्र देश से छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध,”

8 परन्तु वे यह कहेंगे, “यहोवा जो इस्राएल के घराने को उत्तर देश से और उन सब देशों से भी जहां उसने हमें बरबस निकाल दिया, छुड़ा ले आया, उसके जीवन की सौगन्ध।” तब वे अपने ही देश में बसे रहेंगे।

9 भविष्यद्वक्ताओं के विषय मेरा हृदय भीतर ही भीतर फटा जाता है, मेरी सब हड्डियां थरथराती है; यहोवा ने जो पवित्र वचन कहे हैं, उन्हें सुन कर, मैं ऐसे मनुष्य के समान हो गया हूँ जो दाखमधु के नशे में चूर हो गया हो,

10 क्योंकि यह देश व्यभिचारियों से भरा है; इस पर ऐसा शाप पड़ा है कि यह विलाप कर रहा है; वन की चराइयां भी सूख गई। लोग बड़ी दौड़ तो दौड़ते हैं, परन्तु बुराई ही की ओर; और वीरता तो करते हैं, परन्तु अन्याय ही के साथ।

11 क्योंकि भविष्यद्वक्ता और याजक दोनों भक्तिहीन हो गए हैं; अपने भवन में भी मैं ने उनकी बुराई पाई है, यहोवा की यही वाणी है।

12 इस कारण उनका मार्ग अन्धेरा और फिसलाहा होगा जिस में वे ढकेल कर गिरा दिए जाएंगे; क्योंकि, यहोवा की यह वाणी है कि मैं उनके दण्ड के वर्ष में उन पर विपत्ति डालूंगा!

13 शोमरोन के भविष्यद्वक्ताओं में मैं ने यह मूर्खता देखी थी कि वे बाल के नाम से भविष्यद्वाणी करते और मेरी प्रजा इस्राएल को भटका देते थे।

14 परन्तु यरूशलेम के नबियों में मैं ने ऐसे काम देखे हैं, जिन से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्थात व्यभिचार और पाखष्ड; वे कुकमिर्यों को ऐसा हियाव बन्धाते हैं कि वे अपनी अपनी बुराई से पश्चात्ताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियों और अमोरियों के समान हो गए हैं।

15 इस कारण सेनाओं का यहोवा यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के विषय में यों कहता है, देख, मैं उन को कड़ुवी वस्तुएं खिलाऊंगा और विष पिलाऊंगा; क्योंकि उनके कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।

16 सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा कर के यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं।

17 जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उन में ये भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, तुम्हारा कल्याण होगा; और जितने लोग अपने हठ ही पर चलते हैं, उन से ये कहते हैं, तुम पर कोई विपत्ति न पड़ेगी।

18 भला कौन यहोवा की गुप्त सभा में खड़ा हो कर उसका वचन सुनने और समझने पाया है?

19 वा किस ने ध्यान देकर मेरा वचन सुना है? देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचण्ड बवण्डर और आंधी चलने लगी है; और उसका झोंका दुष्टों के सिर पर जोर से लगेगा।

20 जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। अन्त के दिनों में तुम इस बात को भली भांति समझ सकोगे।

21 ये भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।

22 यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वचन सुनाते; और वे अपनी बुरी चाल और कामों से फिर जाते।

23 यहोवा की यह वाणी है, क्या मैं ऐसा परमेश्वर हूँ, जो दूर नहीं, निकट ही रहता हूँ?

24 फिर यहोवा की यह वाणी है, क्या कोई ऐसे गुप्त स्थानों में छिप सकता है, कि मैं उसे न देख सकूं? क्या स्वर्ग और पृथ्वी दोनों मुझ से परिपूर्ण नहीं हैं?

25 मैं ने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कह कर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं कि मैं ने स्वप्न देखा है, स्वप्न!

26 जो भविष्यद्वक्ता झूठमूठ भविष्यद्वाणी करते और अपने मन ही के छल के भविष्यद्वक्ता हैं, यह बात कब तक उनके मन में समाई रहेगी?

27 जैसे मेरी प्रजा के लोगों के पुरखा मेरा नाम भूल कर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब ये भविष्यद्वक्ता उन्हें अपने अपने स्वप्न बता बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं।

28 यदि किसी भविष्यद्वक्ता ने स्वप्न देखा हो, तो वह उसे बताए, परन्तु जिस किसी ने मेरा वचन सुना हो तो वह मेरा वचन सच्चाई से सुनाए। यहोवा की यह वाणी है, कहां भूसा और कहां गेहूं?

29 यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?

30 यहोवा की यह वाणी है, देखो, जो भविष्यद्वक्ता मेरे वचन औरों से चुरा चुराकर बोलते हैं, मैं उनके विरुद्ध हूँ।

31 फिर यहोवा की यह भी वाणी है कि जो भविष्यद्वक्ता “उसकी यह वाणी है”, ऐसी झूठी वाणी कहकर अपनी अपनी जीभ डुलाते हैं, मैं उनके भी विरुद्ध हूँ।

32 यहोवा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा कर के भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन कर के मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूँ; और उन से मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न हेगा।

33 यदि साधारण लोगों में से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा ने क्या प्रभावशाली वचन कहा है, तो उस से कहना, क्या प्रभावशाली वचन? यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा।

34 और जो भविष्यद्वक्ता वा याजक वा साधारण मनुष्य “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन” ऐसा कहता रहे, उसको घराने समेत मैं दण्ड दूंगा।

35 तुम लोग एक दूसरे से और अपने अपने भाई से यों पूछना, यहोवा ने क्या उत्तर दिया?

36 वा, यहोवा ने क्या कहा है? “यहोवा का कहा हुआ भारी वचन”, इस प्रकार तुम भविष्य में न कहना नहीं तो तुम्हारा ऐसा कहना ही दण्ड का कारण हो जाएगा; क्योंकि हमारा परमेश्वर सेनाओं का यहोवा जो जीवित परमेश्वर है, तुम लोगों ने उसके वचन बिगाड़ दिए हैं।

37 तू भविष्यद्वक्ता से यों पूछ कि यहोवा ने तुझे क्या उत्तर दिया?

38 वा, यहोवा ने क्या कहा है? यदि तुम “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन”: इसी प्रकार कहोगे, तो यहोवा का यह वचन सुनो, मैं ने तो तुम्हारे पास कहला भेजा है, भविष्य में ऐसा न कहना कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।” परन्तु तुम यह कहते ही रहते हो, कि “यहोवा का कहा हुआ प्रभावशाली वचन।”

39 इस कारण देखो, मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है,

40 त्याग कर अपने साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।

यिर्मयाह 24

1 जब बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर, यहोयाकीम के पुत्र यहूदा के राजा यकोन्याह को, और यहूदा के हाकिमों और लोहारों और और कारीगरों को बंधुआ कर के यरूशलेम से बाबुल को ले गया, तो उसके बाद यहोवा ने मुझ को अपने मन्दिर के सामहने रखे हुए अंजीरों के दो टोकरे दिखाए।

2 एक टोकरे में तो पहिले से पके अच्छे अच्छे अंजीर थे, और दूसरे टोकरे में बहुत निकम्मे अंजीर थे, वरन वे ऐसे निकम्मे थे कि खाने के योग्य भी न थे।

3 फिर यहोवा ने मुझ से पूछा, हे यिर्मयाह, तुझे क्या देख पड़ता है? मैं ने कहा, अंजीर; जो अंजीर अच्छे हैं सो तो बहुत ही अच्छे हैं, परन्तु जो निकम्मे हैं, सो बहुत ही निकम्मे हैं; वरन ऐसे निकम्मे हैं कि खाने के योग्य भी नहीं हैं।

4 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुंचा,

5 कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जैसे अच्छे अंजीरों को, वैसे ही मैं यहूदी बंधुओं को जिन्हें मैं ने इस स्थान से कसदियों के देश में भेज दिया है, देख कर प्रसन्न हूंगा।

6 मैं उन पर कृपादृष्टि रखूंगा और उन को इस देश में लौटा ले आऊंगा; और उन्हें नाश न करूंगा, परन्तु बनाऊंगा; उन्हें उखाड़ न डालूंगा, परन्तु लगाए रखूंगा।

7 मैं उनका ऐसा मन कर दूंगा कि वे मुझे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूंगा, क्योंकि वे मेरी ओर सारे मन से फिरेंगे।

8 परन्तु जैसे निकम्मे अंजीर, निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते, उसी प्रकार से मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमों और बचे हुए यरूशलेमियों को, जो इस देश में वा मिस्र में रह गए हैं, छोड़ दूंगा।

9 इस कारण वे पृथ्वी के राज्य राज्य में मारे मारे फिरते हुए हु:ख भोगते रहेंगे; और जितने स्थानों में मैं उन्हें बरबस निकाल दूंगा, उन सभों में वे नामधराई और दृष्टांत और श्राप का विषय होंगे।

10 और मैं उन में तलवार चलाऊंगा, और महंगी और मरी फैलाऊंगा, और अन्त में इस देश में से जिसे मैं ने उनके पुरखाओं को और उन को दिया, वे मिट जाएंगे।