Шаг 16: Домовладелец, посадивший виноградник

 

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मत्ती 21:33-41

33 एक और दृष्टान्त सुनो: एक गृहस्थ था, जिस ने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बान्धा; और उस में रस का कुंड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर पर देश चला गया।

34 जब फल का समय निकट आया, तो उस ने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।

35 पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पत्थरवाह किया।

36 फिर उस ने और दासों को भेजा, जो पहिलों से अधिक थे; और उन्होंने उन से भी वैसा ही किया।

37 अन्त में उस ने अपने पुत्र को उन के पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।

38 परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उस की मीरास ले लें।

39 और उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।

40 इसलिये जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?

41 उन्होंने उस से कहा, वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।