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यहेजकेल 38:10-23

10 परमेश्वर यहोवा यों कहता है, उस दिन तेरे मन में ऐसी ऐसी बातें आएंगी कि तू एक बुरी युक्ति भी निकालेगा;

11 और तू कहेगा कि मैं बिन शहरपनाह के गांवों के देश पर चढ़ाई करूंगा; मैं उन लोगों के पास जाऊंगा जो चैन से निडर रहते हैं; जो सब के सब बिना शहरपनाह ओर बिना बेड़ों और पल्लों के बसे हुए हैं;

12 ताकि छीन कर तू उन्हें लूटे और अपना हाथ उन खण्डहरों पर बढ़ाए जो फिर बसाए गए, और उन लोगों के विरुद्ध फेरे जो जातियों में से इाट्ठे हुए थे और पृथ्वी की नाभी पर बसे हुए ढोर और और सम्पत्ति रखते हैं।

13 शबा और ददान के लोग और तशींश के व्योपारी अपने देश के सब जवान सिंहों समेत तुझ से कहेंगे, क्या तू लूटने को आता है? क्या तू ने धन छीनने, सोना-चाँदी उठाने, ढोर और और सम्पत्ति ले जाने, और बड़ी लूट अपना लेने को अपनी भीड़ इकट्टी की है?

14 इस कारण, हे मनुष्य के सन्तान, भविष्यद्वाणी कर के गोग से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, जिस समय मेरी प्रजा इस्राएल निडर बसी रहेगी, क्या तुझे इसका समाचार न मिलेगा?

15 और तू उत्तर दिशा के दूर दूर स्थानों से आएगा; तू और तेरे साथ बहुत सी जातियों के लोग, जो सब के सब घोड़ों पर चढ़े हुए होंगे, अर्थात एक बड़ी भीड़ और बलवन्त सेना।

16 और जैसे बादल भूमि पर छा जाता है, वैसे ही तू मेरी प्रजा इस्राएल के देश पर ऐसे चढ़ाई करेगा। इसलिये हे गोग, अन्त के दिनों में ऐसा ही होगा, कि मैं तुझ से अपने देश पर इसलिये चढ़ाई कराऊंगा, कि जब मैं जातियों के देखते तेरे द्वारा अपने को पवित्र ठहराऊं, तब वे मुझे पहिचान लेंगे।

17 परमेश्वर यहोवा यों कहता है, क्या तू वही नहीं जिसकी चर्चा मैं ने प्राचीनकाल में अपने दासों के, अर्थात इस्राएल के उन भविष्यद्वक्ताओं द्वारा की थी, जो उन दिनों में वर्षों तक यह भविष्यद्वाणी करते गए, कि यहोवा गोग से इस्राएलियों पर चढ़ाई कराएगा?

18 और जिस दिन इस्राएल के देश पर गोग चढ़ाई करेगा, उसी दिन मेरी जलजलाहट मेरे मुख से प्रगट होगी, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

19 और मैं ने जलजलाहट और क्रोध की आग में कहा कि नि:सन्देह उस दिन इस्राएल के देश में बड़ा भुईंडोल होगा।

20 और मेरे दर्शन से समुद्र की मछलियां और आकाश के पक्षी, मैदान के पशु और भूमि पर जितने जीव-जन्तु रेंगते हैं, और भूमि के ऊपर जितने मनुष्य रहते हैं, सब कांप उठेंगे; और पहाड़ गिराए जाएंगे; और चढ़ाइयां नाश होंगी, और सब भीतें गिर कर मिट्टी में मिल जाएंगी।

21 परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है कि मैं उसके विरुद्ध तलवार चलाने के लिये अपने सब पहाड़ों को पुकारूंगा और हर एक की तलवार उसके भाई के विरुद्ध उठेगी।

22 और मैं मरी और खून के द्वारा उस से मुकद्दमा लड़ूंगा; और उस पर और उसके दलों पर, और उन बहुत सी जातियों पर जो उसके पास होंगी, मैं बड़ी झड़ी लगाऊंगा, और ओले और आग और गन्धक बरसाऊंगा।

23 इस प्रकार मैं अपने को महान और पवित्र ठहराऊंगा और बहुत सी जातियों के साम्हने अपने को प्रगट करूंगा। तब वे जान लेंगी कि मैं यहोवा हूँ।

यहेजकेल 39

1 फिर हे मनुष्य के सन्तान, गोग के विरुद्ध भविष्यद्वाणी कर के यह कह, हे गोग, हे रोश, मेशेक और तूबल के प्रधान, परमेश्वर यहोवा यों कहता है, मैं तेरे विरुद्ध हूँ।

2 मैं तुझे घुमा ले आऊंगा, और उत्तर दिशा के दूर दूर देशों से चढ़ा ले आऊंगा, और इस्राएल के पहाड़ों पर पहुंचाऊंगा।

3 वहां मैं तेरा धनुष तेरे बाएं हाथ से गिराऊंगा, और तेरे तीरों को तेरे दाहिने हाथ से गिरा दूंगा।

4 तू अपने सारे दलों और अपने साथ की सारी जातियों समेत इस्राएल के पहाड़ों पर मार डाला जाएगा; मैं तुझे भांति भांति के मांसाहारी पक्षियों और वनपशुओं का आहार कर दूंगा।

5 तू खेत में गिरेगा, क्योंकि मैं ही ने ऐसा कहा है, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

6 मैं मागोग में और द्वीपों के निडर रहने वालों के बीच आग लगाऊंगा; और वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।

7 और मैं अपनी प्रजा ईस्राएल के बीच अपना नाम प्रगट करूंगा; और अपना पवित्र नाम फिर अपवित्र न होने दूंगा; तब जाति-जाति के लोग भी जान लेंगे कि मैं यहोवा, इस्राएल का पवित्र हूँ।

8 यह घटना हुआ चाहती है और वह हो जाएगी, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है। यह वही दिन है जिसकी चर्चा मैं ने की है।

9 तब इस्राएल के नगरों के रहने वाले निकलेंगे और हथियारों में आग लगा कर जला देंगे, ढाल, और फरी, धनुष, और तीर, लाठी, बर्छे, सब को वे सात वर्ष तक जलाते रहेंगे।

10 और इसके कारण वे मैदान में लकड़ी न बीनेंगे, न जंगल में काटेंगे, क्योंकि वे हथियारों ही को जलाया करेंगे; वे अपने लूटने वाले को लूटेंगे, और अपने छीनने वालों से छीनेंगे, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

11 उस समय मैं गोग को इस्राएल के देश में कब्रिस्तान दूंगा, वह ताल की पूर्व ओर होगा; वह आने जाने वालों की तराई कहलाएगी, और आने जाने वालों को वहां रुकना पड़ेगा; वहां सब भीड़ समेत गोग को मिट्टी दी जाएगी और उस स्थान का नाम गोग की भीड़ की तराई पड़ेगा।

12 इस्राएल का घराना उन को सात महीने तक मिट्टी देता रहेगा ताकि अपने देश को शुद्ध करे।

13 देश के सब लोग मिल कर उन को मिट्टी देंगे; और जिस समय मेरी महिमा होगी, उस समय उनका भी नाम बड़ा होगा, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

14 तब वे मनुष्यों को नियुक्त करेंगे, जो निरन्तर इसी काम में लगे रहेंगे, अर्थात देश में घूम-घामकर आने जाने वालों के संग हो कर देश को शुद्ध करने के लिये उन को जो भूमि के ऊपर पड़े हों, मिट्टी देंगे; और सात महीने के बीतने तक वे ढूंढ़ ढूंढ़कर यह काम करते रहेंगे।

15 और देश में आने जाने वालों में से जब कोई मनुष्य की हड्डी देखे, तब उसके पास एक चिन्ह खड़ा करेगा, यह उस समय तक बना रहेगा जब तक मिट्टी देने वाले उसे गोग की भीड़ की तराई में गाड़ न दें।

16 वहां के नगर का नाम भी “हमोना है”। यों देश शुद्ध किया जाएगा।

17 फिर हे मनुष्य के सन्तान, परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, भांति भांति के सब पक्षियों और सब वनपशुओं को आज्ञा दे, इकट्ठे हो कर आओ, मेरे इस बड़े यज्ञ में जो मैं तुम्हारे लिये इस्राएल के पहाड़ों पर करता हूँ, हर एक दिशा से इकट्ठे हो कि तुम मांस खाओ और लोहू पीओ।

18 तुम शूरवीरों का मांस खाओगे, और पृथ्वी के प्रधानों का लोहू पीओगे और मेढ़ों, मेम्नों, बकरों और बैलों का भी जो सब के सब बाशान के तैयार किए हुए होंगे।

19 और मेरे उस भोज की चर्बी से जो मैं तुम्हारे लिये करता हूँ, तुम खाते-खाते अघा जाओगे, और उसका लोहू पीते-पीते छक जाओगे।

20 तुम मेरी मेज़ पर घोड़ों, सवारों, शूरवीरों, और सब प्रकार के योद्धाओं से तृप्त होगे, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

21 और मैं जाति-जाति के बीच अपनी महिमा प्रगट करूंगा, और जाति-जाति के सब लोग मेरे न्याय के काम जो मैं करूंगा, और मेरा हाथ जो उन पर पड़ेगा, देख लेंगे।

22 उस दिन से आगे इस्राएल का घराना जान लेगा कि यहोवा हमारा परमेश्वर है।

23 और जाति-जाति के लोग भी जान लेंगे कि इस्राएल का घराना अपने अधर्म के कारण बंधुआई में गया था; क्योंकि उन्होंने मुझ से ऐसा विश्वासघात किया कि मैं ने अपना मुंह उन से फेर लिया और उन को उनके बैरियों के वश कर दिया, और वे सब तलवार से मारे गए।

24 मैं ने उनकी अशुद्धता और अपराधों ही के अनुसार उन से बर्ताव कर के उन से अपना मुंह फेर लिया था।

25 इसलिये परमेश्वर यहोवा यों कहता है, अब मैं याकूब को बंधुआई से फेर लाऊंगा, और इस्राएल के सारे घराने पर दया करूंगा; और अपने पवित्र नाम के लिये मुझे जलन होगी।

26 तब उस सारे विश्वासघात के कारण जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किया वे लज्जित होंगे; और अपने देश में निडर रहेंगे; और कोई उन को न डराएगा।

27 और जब मैं उन को जाति-जाति के बीच से फेर लाऊंगा, और उन शत्रुओं के देशों से इकट्ठा करूंगा, तब बहुत जातियों की दृष्टि में उनके द्वारा पवित्र ठहरूंगा।

28 और तब वे जान लेंगे कि यहोवा हमारा परमेश्वर है, क्योंकि मैं ने उन को जाति-जाति में बंधुआ कर के फिर उनके निज देश में इकट्ठा किया है। मैं उन में से किसी को फिर परदेश में न छोडूंगा,

29 और उन से अपना मुंह फिर कभी न फेर लूंगा, क्योंकि मैं ने इस्राएल के घराने पर अपना आत्मा उण्डेला है, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।

यहेजकेल 40

1 हमारी बंधुआई के पच्चीसवें वर्ष अर्थात यरूशलेम नगर के ले लिए जाने के बाद चौदहवें वर्ष के पहिले महीने के दसवें दिन को, यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई, और उसने मुझे वहां पहुंचाया।

2 अपने दर्शनों में परमेश्वर ने मुझे इस्राएल के देश में पहुंचाया और वहां एक बहुत ऊंचे पहाड़ पर खड़ा किया, जिस पर दक्खिन ओर मानो किसी नगर का आकार था।

3 जब वह मुझे वहां ले गया, तो मैं ने क्या देखा कि पीतल का रूप धरे हुए और हाथ में सन का फीता और मापने का बांस लिए हुए एक पुरुष फाटक में खड़ा है।

4 उस पुरुष ने मुझ से कहा, हे मनुष्य के सन्तान, अपनी आंखों से देख, और अपने कानों से सुन; और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊंगा उस सब पर ध्यान दे, क्योंकि तू इसलिये यहां पहुंचाया गया है कि मैं तुझे ये बातें दिखाऊं; और जो कुछ तू देखे वह इस्राएल के घराने को बताए।

5 और देखो, भवन के बाहर चारों ओर एक भीत थी, और उस पुरुष के हाथ में मापने का बांस था, जिसकी लम्बाई ऐसे छ: हाथ की थी जो साधारण हाथों से चौवा भर अधिक है; सो उसने भीत की मोटाई मापकर बांस भर की पाई, फिर उसकी ऊंचाई भी मापकर बांस भर की पाई।

6 तब वह उस फाटक के पास आया जिसका मुंह पूर्व की ओर था, और उसकी सीढ़ी पर चढ़कर फाटक की दोनों डेवढिय़ों की चौड़ाई मापकर एक एक बांस भर की पाई।

7 और पहरे वाली कोठरियां बांस भर लम्बी और बांस भर चौड़ी थी; और दो कोठरियों का अन्तर पांच हाथ का था; और फाटक की डेवढ़ी जो फाटक के ओसारे के पास भवन की ओर थी, वह भी बांस भर की थी।

8 तब उसने फाटक का वह ओसारा जो भवन के साम्हने था, मापकर बांस भर का पाया।

9 और उसने फाटक का ओसारा माप कर आठ हाथ का पाया, और उसके खम्भे दो दो हाथ के पाए, और फाटक का ओसारा भवन के साम्हने था।

10 और पूवीं फाटक की दोनों ओर तीन तीन पहरे वाली कोठरियां थीं जो सब एक ही माप की थीं, और दोनों ओर के खम्भे भी एक ही माप के थे।

11 फिर उस न फाटक के द्वार की चौड़ाई माप कर दस हाथ की पाई; और फाटक की लम्बाई माप कर तेरह हाथ की पाई।

12 और दोनों ओर की पहरे वाली कोठरियों के आगे हाथ भर का स्थान था और दोनों ओर कोठरियां छ: छ: हाथ की थीं।

13 फिर उसने फाटक को एक ओर की पहरे वाली कोठरी की छत से ले कर दूसरी ओर की पहरे वाली कोठरी की छत तक माप कर पच्चीस हाथ की दूरी पाई, और द्वार आम्हने-साम्हने थे।

14 फिर उसने साठ हाथ के खम्भे मापे, और आंगन, फाटक के आस पास, खम्भों तक था।

15 ओर फाटक के बाहरी द्वार के आगे से ले कर उसके भीतरी ओसारे के आगे तक पचास हाथ का अन्तर था।

16 और पहरे वाली कोठरियों में, और फाटक के भीतर चारों ओर कोठरियों के बीच के खम्भे के बीच बीच में झिलमिलीदार खिड़कियां थी, और खम्भों के ओसारे में भी वैसी ही थी; और फाटक के भीतर के चारों ओर खिड़कियां थीं; और हर एक खम्भे पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।

17 तब वह मुझे बाहरी आंगन में ले गया; और उस आंगन के चारों ओर कोठरियां थीं; और एक फर्श बना हुआ था; जिस पर तीस कोठरियां बनी थीं।

18 और यह फर्श अर्थात निचला फर्श फाटकों से लगा हुआ था और उनकी लम्बाई के अनुसार था।

19 फिर उसने निचले फाटक के आगे से ले कर भीतरी आंगन के बाहर के आगे तक मापकर सौ हाथ पाए; वह पूर्व और उत्तर दोनों ओर ऐसा ही था।

20 तब बाहरी आंगन के उत्तरमुखी फाटक की लम्बाई और चौड़ाई उसने मापी।

21 और उसकी दोनों ओर तीन तीन पहरे वाली कोठरियां थीं, और इसके भी खम्भों के ओसारे की माप पहिले फाटक के अनुसार थी; इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।

22 और इसकी भी खिड़कियों और खम्भों के ओसारे और खजूरों की माप पूर्वमुखी फाटक की सी थी; और इस पर चढ़ने को सात सीढिय़ां थीं; और उनके साम्हने इसका ओसारा था।

23 और भीतरी आंगन की उत्तर और पूर्व ओर दूसरे फाटकों के साम्हने फाटक थे और उसने फाटकों की दूरी माप कर सौ हाथ की पाई।

24 फिर वह मुझे दक्खिन ओर ले गया, और दक्खिन ओर एक फाटक था; और उसने इसके खम्भे और खम्भों का ओसारा माप कर इनकी वैसी ही माप पाई।

25 और उन खिड़कियों की नाईं इसके और इसके खम्भों के ओसारों के चारों ओर भी खिड़कियां थीं; इसकी भी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।

26 और इस में भी चढ़ने के लिये सात सीढिय़ां थीं और उनके साम्हने खम्भों का ओसारा था; और उसके दोनों ओर के खम्भों पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।

27 और दक्खिन ओर भी भीतरी आंगन का एक फाटक था, और उसने दक्खिन ओर के दोनों फाटकों की दूरी माप कर सौ हाथ की पाई।

28 तब वह दक्खिनी फाटक से हो कर मुझे भीतरी आंगन में ले गया, और उसने दक्खिनी फाटक को माप कर वैसा ही पाया।

29 अर्थात इसकी भी पहरे वाली कोठरियां, और खम्भे, और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के भी चारों ओर भी खिड़कियां थीं; और इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।

30 और इसके चारों ओर के खम्भों का ओसारा भी पच्चीस हाथ लम्बा, और पचास हाथ चौड़ा था।

31 और इसका खम्भों का ओसारा बाहरी आंगन की ओर था, और इसके खम्भों पर भी खजूर के पेड़ खुदे हुए थे, और इस पर चढ़ने को आठ सीढिय़ां थीं।

32 फिर वह पुरुष मुझे पूर्व की ओर भीतरी आंगन में ले गया, और उस ओर के फाटक को माप कर वैसा ही पाया।

33 और इसकी भी पहरे वाली कोठरियां और खम्भे और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के चारों ओर भी खिड़कियां थीं; इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।

34 इसका ओसारा भी बाहरी आंगन की ओर था, और उसके दोनों ओर के खम्भों पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे; और इस पर भी चढ़ने को आठ सीढिय़ां थीं।

35 फिर उस पुरुष ने मुझे उत्तरी फाटक के पास ले जा कर उसे मापा, और उसकी भी माप वैसी ही पाई।

36 उसके भी पहरे वाली कोठरियां और खम्भे और उनका ओसारा था; और उसके भी चारों ओर खिड़कियां थीं; उसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।

37 उसके खम्भे बाहरी आंगन की ओर थे, और उन पर भी दोनोंओर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे; और उस में चढ़ने को आठ सीढिय़ां थीं।

38 फिर फाटकों के पास के खम्भों के निकट द्वार समेत कोठरी थी, जहां होमबलि धोया जाता था।

39 और होमबलि, पापबलि, और दोषबलि के पशुओं के वध करने के लिये फाटक के ओसारे के पास उसके दोनों ओर दो दो मेज़ें थीं।

40 और फाटक की एक बाहरी अलंग पर अर्थात उत्तरी फाटक के द्वार की चढ़ाई पर दो मेज़ें थीं; और उसकी दूसरी बाहरी अलंग पर भी, जो फाटक के ओसारे के पास थी, दो मेजें थीं।

41 फाटक की दोनों अलंगों पर चार चार मेजें थीं, सो सब मिलकर आठ मेज़ें थीं, जो बलिपशु वध करने के लिये थीं।

42 फिर होमबलि के लिये तराशे हुए पत्थर की चार मेज़ें थीं, जो डेढ़ हाथ लम्बी, डेढ़ हाथ चौड़ी, और हाथ भर ऊंची थीं; उन पर होमबलि और मेलबलि के पशुओं को वध करने के हथियार रखे जाते थे।

43 भीतर चारों ओर चौवे भर की अंकडिय़ां लगी थीं, और मेज़ों पर चढ़ावे का मांस रखा हुआ था।

44 और भीतरी आंगन की उत्तरी फाटक की अलंग के बाहर गाने वालों की कोठरियां थीं जिनके द्वार दक्खिन ओर थे; और पूवीं फाटक की अलंग पर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर ओर था।

45 उसने मुझ से कहा, यह कोठरी, जिसका द्वार दक्खिन की ओर है, उन याजकों के लिये है जो भवन की चौकसी करते हैं,

46 और जिस कोठरी का द्वार उत्तर ओर है, वह उन याजकों के लिये है जो वेदी की चौकसी करते हैं; ये सादोक की सन्तान हैं; और लेवियों में से यहोवा की सेवा टहल करने को केवल ये ही उसके समीप जाते हैं।

47 फिर उसने आंगन को माप कर उसे चौकोना अर्थात सौ हाथ लम्बा और सौ हाथ चौड़ा पाया; और भवन के साम्हने वेदी थी।

48 फिर वह मुझे भवन के ओसारे में ले गया, और ओसारे के दोनों ओर के खम्भों को माप कर पांच पांच हाथ का पाया; और दोनों ओर फाटक की चौड़ाई तीन तीन हाथ की थी।

49 ओसारे की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई ग्यारह हाथ की थी; और उस पर चढ़ने को सीढिय़ां थीं; और दोनों ओर के खम्भों के पास लाटें थीं।