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Studie

     

1 राजा 14

1 उस समय यारोबाम का बेटा अबिय्याह रोगी हुआ।

2 तब यारोबाम ने अपनी स्त्री से कहा, ऐसा भेष बना कि कोई तुझे पहिचान न सके कि यह यारोबाम की स्त्री है, और शीलो को चली जा, वहां तो अहिय्याह नबी रहता है जिसने मुझ से कहा था कि तू इस प्रजा का राजा हो जाएगा।

3 उसके पास तू दस रोटी, और पपडिय़ां और एक कुप्पी मधु लिये हुए जा, और वह तुझे बताएगा कि लड़के को क्या होगा।

4 यारोबाम की स्त्री ने वैसा ही किया, और चलकर शीलो को पहुंची और अहिय्याह के घर पर आई: अहिय्याह को तो कुछ सूझ न पड़ता था, क्योंकि बुढ़ापे के कारण उसकी आंखें धुन्धली पड़ गई थीं।

5 और यहोवा ने अहिय्याह से कहा, सुन यारोबाम की स्त्री तुझ से अपने बेटे के विषय में जो रोगी है कुछ पूछने को आती है, तू उस से ये ये बातें कहना; वह तो आकर अपने को दूसरी औरत बनाएगी।

6 जब अहिय्याह ने द्वार में आते हुए उसके पांव की आहट सुनी तब कहा, हे यारोबाम की स्त्री! भीतर आ; तू अपने को क्यों दूसरी स्त्री बनाती है? मुझे तेरे लिये भारी सन्देशा मिला है।

7 तू जा कर यारोबाम से कह कि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा तुझ से यों कहता है, कि मैं ने तो तुझ को प्रजा में से बढ़ाकर अपनी प्रजा इस्राएल पर प्रधान किया,

8 और दाऊद के घराने से राज्य छीनकर तुझ को दिया, परन्तु तू मेरे दास दाऊद के समान न हुआ जो मेरी आज्ञाओं को मानता, और अपने पूर्ण मन से मेरे पीछे पीछे चलता, और केवल वही करता था जो मेरी दृष्टि में ठीक है।

9 तू ने उन सभों से बढ़कर जो तुझ से पहिले थे बुराई, की है, और जा कर पराये देवता की उपासना की और मूरतें ढालकर बनाईं, जिस से मुझे क्रोधित कर दिया और मुझे तो पीठ के पीछे फेंक दिया है।

10 इस कारण मैं यारोबाम के घराने पर विपत्ति डालूंगा, वरन मैं यारोबाम के कुल में से हर एक लड़के को ओर क्या बन्धुए, क्या स्वाधीन इस्राएल के मध्य हर एक रहने वाले को भी नष्ट कर डालूंगा: और जैसा कोई गोबर को तब तक उठाता रहता है जब तक वह सब उठा तहीं लिया जाता, वैसे ही मैं यारोबाम के घराने की सफाई कर दूंगा।

11 यारोबाम के घराने का जो कोई नगर में मर जाए, उसको कुत्ते खाएंगे; और जो मैदान में मरे, उसको आकाश के पड़ी खा जाएंगे; क्योंकि यहोवा ने यह कहा है!

12 इसलिये तू उठ और अपने घर जा, और नगर के भीतर तेरे पांव पड़ते ही वह बालक मर जाएगा।

13 उसे तो समस्त इस्राएली छाती पीटकर मिट्टी देंगे; यारोबाम के सन्तानों में से केवल उसी को कबर मिलेगी, क्योंकि यारोबाम के घराने में से उसी में कुछ पाया जाता है जो यहोवा इस्राएल के प्रभु की दृष्टि में भला है।

14 फिर यहोवा इस्राएल के लिये एक ऐसा राजा खड़ा करेगा जो उसी दिन यारोबाम के घराने को नाश कर डालेगा, परन्तु कब?

15 यह अभी होगा। क्योंकि यहोवा इस्राएल को ऐसा मारेगा, जैसा जल की धारा से नरकट हिलाया जाता है, और वह उन को इस अच्छी भूमि में से जो उसने उनके पुरखाओं को दी थी उखाड़ कर महानद के पार तित्तर-बित्तर करेगा; क्योंकि उन्होंने अशेरा ताम मूरतें अपने लिये बनाकर यहोवा को क्रोध दिलाया है।

16 और उन पापों के कारण जो यारोबाम ने किए और इस्राएल से कराए थे, यहोवा इस्राएल को त्याग देगा।

17 तब यारोबाम की स्त्री बिदा हो कर चली और तिरज़ा को आई, और वह भवन की डेवढ़ी पर जैसे ही पहुंची कि वह बालक मर गया।

18 तब यहोवा के वचन के अनुसार जो उसने अपने दास अहिय्याह नबी से कहलाया था, समस्त इस्राएल ने उसको मिट्टी देकर उसके लिये शोक मनाया।

19 यारोबाम के और काम अर्थात उसने कैसा कैसा युद्ध किया, और कैसा राज्य किया, यह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है।

20 यारोबाम बाईस वर्ष तक राज्य कर के अपने पुरखाओं के साथ सो गया और नादाब नाम उसका पुत्र उसके स्थान पर राजा हुआ।

21 और सुलैमान का पुत्र रहूबियाम यहूदा में राज्य करने लगा। रहूबियाम इकतालीस वर्ष का हो कर राज्य करने लगा; और यरूशलेम जिस को यहोवा ने सारे इस्राएली गोत्रों में से अपना नाम रखने के लिये चुन लिया था, उस नगर में वह सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा; और उसकी माता का नाम नामा था जो अम्मोनी स्त्री थी।

22 और यहूदी लोग वह करने लगे जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है, और अपने पुरखाओं से भी अधिक पाप करके उसकी जलन भड़काई।

23 उन्होंने तो सब ऊंचे टीलों पर, और सब हरे वृक्षों के तले, ऊंचे स्थान, और लाठें, और अशेरा नाम मूरतें बना लीं।

24 और उनके देश में पुरुषगामी भी थे; निदान वे उन जातियों के से सब घिनौने काम करते थे जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के साम्हने से निकाल दिया था।

25 राजा रहूबियाम के पांचवें वर्ष में मिस्र का राजा शीशक, यरूशलेम पर चढ़ाई करके,

26 यहोवा के भवन की अनमोल वस्तुएं और राजभवन की अनमोल वस्तुएं, सब की सब उठा ले गया; और सोने की जो ढालें सुलैमान ने बनाईं थीं सब को वह ले गया।

27 इसलिये राजा रहूबियाम ने उनके बदले पीतल की ढालें बनवाई और उन्हें पहरुओं के प्रधानों के हाथ सौंप दिया जो राजभवन के द्वार की रखवाली करते थे।

28 और जब जब राजा यहोवा के भवन में जाता था तब तब पहरुए उन्हें उठा ले चलते, और फिर अपनी कोठरी में लौटा कर रख देते थे।

29 रहूबियाम के और सब काम जो उसने किए वह क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

30 रहूबियाम और यारोबाम में तो सदा लड़ाई होती रही।

31 और रहूबियाम जिसकी माता नामा नाम एक अम्मोनिन थी, अपने पुरखाओं के साथ सो गया; और उन्हीं के पास दाऊदपुर में उसको मिट्टी दी गई: और उसका पुत्र अबिय्याम उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

1 राजा 15

1 नाबात के पुत्र यारोबाम के राज्य के अठारहवें वर्ष में अबिय्याम यहूदा पर राज्य करने लगा।

2 और वह तीन वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम माका था जो अबशालोम की पुत्री थी:

3 वह वैसे ही पापों की लीक पर चलता रहा जैसे उसके पिता ने उस से पहिले किए थे और उसका मन अपने परमेश्वर यहोवा की ओर अपने परदादा दाऊद की नाईं पूरी रीति से सिद्ध न था;

4 तौभी दाऊद के कारण उसके परमेश्वर यहोवा ने यरूशलेम में उसे एक दीपक दिया अर्थात उसके पुत्र को उसके बाद ठहराया और यरूशलेम को बनाए रखा।

5 क्योंकि दाऊद वह किया करता था जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था और हित्ती ऊरिय्याह की बात के सिवाय और किसी बात में यहोवा की किसी आज्ञा से जीवन भर कभी न मुड़ा।

6 रहूबियाम के जीवन भर तो उसके और यारोबाम के बीच लड़ाई होती रही।

7 अबिय्याम के और सब काम जो उसने किए, क्या वे यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? और अबिय्याम की यारोबाम के साथ लड़ाई होती रही।

8 निदान अबिय्याम अपने पुरखाओं के संग सोया, और उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र आसा उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

9 इस्राएल के राजा यारोबाम के बीसवें वर्ष में आसा यहूदा पर राज्य करने लगा;

10 और यरूशलेम में इकतालीस वर्ष तक राज्य करता रहा, और उसकी माता अबशालोम की पुत्री माका थी।

11 और आसा ने अपने मूलपुरुष दाऊद की नाईं वही किया जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था।

12 उसने तो पुरुषगामियों को देश से निकाल दिया, और जितनी मूरतें उसके पुरखाओं ने बनाईं थी उन सभों को उसने दूर कर दिया।

13 वरन उसकी माता माका जिसने अशेरा के लिये एक घिनौनी मूरत बनाई थी उसको उसने राजमाता के पद से उतार दिया, और आसा ने उसकी मूरत को काट डाला और किद्रोन के नाले में फूंक दिया।

14 परन्तु ऊंचे स्थान तो ढाए न गए; तौभी आसा का मन जीवन भर यहोवा की ओर पूरी रीति से लगा रहा।

15 और जो सोना चांदी और पात्र उसके पिता ने अर्पण किए थे, और जो उसने स्वयं अर्पण किए थे, उन सभों को उसने यहोवा के भवन में पहुंचा दिया।

16 और आसा और इस्राएल के राजा बाशा के बीच उनके जीवन भर युद्ध होता रहा

17 और इस्राएल के राजा बाशा ने यहूदा पर चढ़ाई की, और रामा को इसलिये दृढ़ किया कि कोई यहूदा के राजा आसा के पास आने जाने न पाए।

18 तब आसा ने जितना सोना चांदी यहोवा के भवन और राजभवन के भणडारों में रह गया था उस सब को निकाल अपने कर्मचारियों के हाथ सौंपकर, दमिश्कवासी अराम के राजा बेन्हदद के पास जो हेज्योन का पोता और तब्रिम्मोन का पुत्र था भेज कर यह कहा, कि जैसा मेरे और तेरे पिता के मध्य में वैसा ही मेरे और तेरे मध्य भी वाचा बान्धी जाए:

19 देख, मैं तेरे पास चांदी सोने की भेंट भेजता हूँ, इसलिये आ, इस्राएल के राजा बाशा के साथ की अपनी वाचा को टाल दे, कि वह मेरे पास से चला जाए।

20 राजा आसा की यह बात मानकर बेन्हदद ने अपने दलों के प्रधानों से इस्राएली नगरों पर चढ़ाई करवा कर इय्योन, दान, आबेल्वेत्माका और समस्त किन्नेरेत को और नप्ताली के समस्त देश को पूरा जीत लिया।

21 यह सुनकर बाशा ने रामा को दृढ़ करना छोड़ दिया, और तिर्सा में रहने लगा।

22 तब राजा आसा ने सारे यहूदा में प्रचार करवाया और कोई अनसुना न रहा, तब वे रामा के पत्थरों और लकड़ी को जिन से बासा उसे दृढ़ करता था उठा ले गए, और उन से राजा आसा ने बिन्यामीन के गेबा और मिस्पा को दृढ़ किया।

23 आसा के और काम और उसकी वीरता और जो कुछ उसने किया, और जो नगर उसने दृढ़ किए, यह सब क्या यहूदा के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

24 परन्तु उसके बुढ़ापे में तो उसे पांवों का रोग लग गया। निदान आसा अपने पुरखाओं के संग सो गया, और उसे उसके मूलपुरुष दाऊद के नगर में उन्हीं के पास पिट्टी दी गई और उसका पुत्र यहोशापात उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

25 यहूदा के राजा आसा के दूसरे वर्ष में यारोबाम का पुत्र नादाब इस्राएल पर राज्य करने लगा; और दो वर्ष तक राज्य करता रहा।

26 उसने वह काम किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था और अपने पिता के मार्ग पर वही पाप करता हुआ चलता रहा जो उसने इस्राएल से करवाया था।

27 नादाब सब इस्राएल समेत पलिश्तियों के देश के गिब्बतोन नगर को घेरे था। और उस्साकार के गोत्र के अहिय्याह के पुत्र बाशा ने उसके विरुद्ध राजद्रोह की गोष्ठी करके गिब्बतोन के पास उसको मार डाला।

28 और यहूदा के राजा आसा के तीसरे वर्ष में बाशा ने नादाब को मार डाला, और उसके स्थान पर राजा बन गया।

29 राजा होते ही बाशा ने यारोबाम के समस्त घराने को मार डाला; उसने यारोबाम के वंश को यहां तक नष्ट किया कि एक भी जीवित न रहा। यह सब यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ जो उसने अपने दास शीलोवासी अहिय्याह से कहवाया था।

30 यह इस कारण हुआ कि यारोबाम ने स्वयं पाप किए, और इस्राएल से भी करवाए थे, और उसने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को क्रोधित किया था।

31 नादाब के और सब काम जो उसने किए, वह क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं?

32 आसा और इस्राएल के राजा बाशा के मध्य में तो उनके जीवन भर युद्ध होता रहा।

33 यहूदा के राजा आसा के तीसरे वर्ष में अहिय्याह का पुत्र बाशा, तिर्सा में समस्त इस्राएल पर राज्य करने लगा, और चौबीस वर्ष तक राज्य करता रहा।

34 और उसने वह किया, जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, और यारोबाम के मार्ग पर वही पाप करता रहा जिसे उसने इस्त्राएल से करवाया था।

1 राजा 16

1 और बाशा के विषय यहोवा का यह वचन हनानी के पुत्र येहू के पास पहुंचा,

2 कि मैं ने तुझ को मिट्टी पर से उठा कर अपनी प्रजा इस्राएल का प्रधान किया, परन्तु तू यारोबाम की सी चाल चलता और मेरी प्रजा इस्राएल से ऐसे पाप कराता आया है जिन से वे मुझे क्रोध दिलाते हैं।

3 सुन, मैं बाशा और उसके घराने की पूरी रीति से सफाई कर दूंगा और तेरे घराने को नबात के पुत्र यारोबाम के समान कर दूंगा।

4 बाशा के घर का जो कोई नगर में मर जाए, उसको कुत्ते खा डालेंगे, और उसका जो कोई मैदान में मर जाए, उसको आकाश के पक्षी खा डालेंगे।

5 बाशा के और सब काम जो उसने किए, और उसकी वीरता यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

6 निदान बाशा अपने पुरखाओं के संग सो गया और तिर्सा में उसे मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र एला उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

7 यहोवा का जो वचन हनानी के पुत्र येहू के द्वारा बाशा और उसके घराने के विरुद्ध आया, वह न केवल उन सब बुराइयों के कारण आया जो उसने यारोबाम के घराने के समान हो कर यहोवा की दृष्टि में किया था और अपने कामों से उसको क्रोधित किया, वरन इस कारण भी आया, कि उसने उसको मार डाला था।

8 यहूदा के राजा आसा के छब्बीसवें वर्ष में बाशा का पुत्र एला तिर्सा में इस्राएल पर राज्य करने लगा, और दो वर्ष तक राज्य करता रहा।

9 जब वह तिर्सा में अर्सा नाम भणडारी के घर में जो उसके तिर्सा वाले भवन का प्रधान था, दारू पीकर मतवाला हो गया था, तब उसके जिम्री नाम एक कर्मचारी ने जो उसके आधे रथों का प्रधान था,

10 राजद्रोह की गोष्ठी की और भीतर जा कर उसको मार डाला, और उसके स्थान पर राजा बन गया। यह यहूदा के राजा आसा के सत्ताइसवें वर्ष में हुआ।

11 और जब वह राज्य करने लगा, तब गद्दी पर बैठते ही उसने बाशा के पूरे घराने को मार डाला, वरन उसने न तो उसके कुटुम्बियों और न उसके मित्रों में से एक लड़के को भी जीवित छोड़ा।

12 इस रीति यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने येहू नबी के द्वारा बाशा के विरुद्ध कहा था, जिम्री ने बाशा का समस्त घराना नष्ट कर दिया।

13 इसका कारण बाशा के सब पाप और उसके पुत्र एला के भी पाप थे, जो उन्होंने स्वयं आप करके और इस्राएल से भी करवा के इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को व्यर्थ बातों से क्रोध दिलाया था।

14 एला के और सब काम जो उसने किए, वह क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखे हैं।

15 यहूदा के राजा आसा के सत्ताईसवें वर्ष में जिम्री तिर्सा में राज्य करने लगा, और तिर्सा में सात दिन तक राज्य करता रहा। उस समय लोग पलिश्तियों के देश गिब्बतोन के विरुद्ध डेरे किए हुए थे।

16 तो जब उन डेरे लगाए हुए लोगों ने सुना, कि जिम्री ने राजद्रोह की गोष्ठी करके राजा को मार डाला, तब उसी दिन समस्त इस्राएल ने ओम्री नाम प्रधान सेनापति को छावनी में इस्राएल का राजा बनाया।

17 तब ओम्री ने समस्त इस्राएल को संग ले गिब्बतोन को छोड़कर तिर्सा को घेर लिया।

18 जब जिम्री ने देखा, कि नगर ले लिया गया है, तब राजभवन के गुम्मट में जा कर राजभवन में आग लगा दी, और उसी में स्वयं जल मरा।

19 यह उसके पापों के कारण हुआ क्योंकि उसने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था, क्योकि वह यारोबाम की सी चाल और उसके किए हुए और इस्राएल से करवाए हुए पाप की लीक पर चला।

20 जिम्री के और काम और जो राजद्रोह की गोष्ठी उसने की, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

21 तब इस्राएली प्रजा के दो भाग किए गए, प्रजा के आधे लोग तो तिब्नी नाम गीनत के पुत्र को राजा करने के लिये उसी के पीछे हो लिए, और आधे ओम्री के पीछे हो लिए।

22 अन्त में जो लोग ओम्री के पीछे हुए थे वे उन पर प्रबल हुए जो गीनत के पुत्र तिब्नी के पीछे हो लिए थे, इसलिये तिब्नी मारा गया और ओम्री राजा बन गया।

23 यहूदा के राजा आशा के इकतीसवें वर्ष में ओम्री इस्राएल पर राज्य करने लगा, और बारह वर्ष तक राज्य करता रहा; उसने छ:वर्ष तो तिर्सा में राज्य किया।

24 और उसने शमेर से शोमरोन पहाड़ को दो किक्कार चांदी में मोल ले कर, उस पर एक नगर बसाया; और अपने बसाए हुए नगर का नाम पहाड़ के मालिक शेमेर के नाम पर शोमरोन रखा।

25 और उोम्री ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा था वरन उन सभों से भी जो उस से पहिले थे अधिक बुराई की।

26 वह नबात के पुत्र यारोबाम की सी सब चाल चला, और उसके सब पापों के अनुसार जो उसने इस्राएल से करवाए थे जिसके कारण इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को उन्होंने अपने व्यर्थ कर्मों से क्रोध दिलाया था।

27 ओम्री के और काम जो उसने किए, और जो वीरता उसने दिखाई, यह सब क्या इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में नहीं लिखा है?

28 निदान ओम्री अपने पुरखाओं के संग सो गया और शोमरोन में उसको मिट्टी दी गई, और उसका पुत्र अहाब उसके स्थान पर राज्य करने लगा।

29 यहूदा के राजा आसा के अड़तीसवें वर्ष में ओम्री का पुत्र अहाब इस्राएल पर राज्य करने लगा, और इस्राएल पर शोमरोन में बाईस वर्ष तक राज्य करता रहा।

30 और ओम्री के पुत्र अहाब ने उन सब से अधिक जो उस से पहिले थे, वह कर्म किए जो यहोवा की दृष्टि में बुरे थे।

31 उसने तो नबात के पुत्र यारोबाम के पापों में चलना हलकी सी बात जानकर, सीदोनियों के राजा एतबाल की बेटी ईजेबेल को ब्याह कर बाल देवता की उपासना की और उसको दण्डवत किया।

32 और उसने बाल का एक भवन शोमरोन में बनाकर उस में बाल की एक वेदी बनाईं।

33 और अहाब ने एक अशेरा भी बनाया, वरन उसने उन सब इस्राएली राजाओं से बढ़ कर जो उस से पहिले थे इस्राएल के परमेश्वर यहोवा को क्रोध दिलाने के काम किए।

34 उसके दिनों में बेतेलवासी हीएल ने यरीहो को फिर बसाया; जब उसने उसकी नेव डाली तब उसका जेठा पुत्र अबीराम मर गया, और जब उसने उसके फाटक खड़े किए तब उसका लहुरा पुत्र सगूब मर गया, यह यहोवा के उस वचन के अनुसार हुआ, जो उसने नून के पुत्र यहोशू के द्वारा कहलवाया था।

1 राजा 17

1 और तिशबी एलिय्याह जो गिलाद के परदेसियों में से था उसने अहाब से कहा, इस्राएल का परमेश्वर यहोवा जिसके सम्मुख मैं उपस्थित रहता हूँ, उसके जीवन की शपथ इन वर्षों में मेरे बिना कहे, न तो मेंह बरसेगा, और न ओस पड़ेगी।

2 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा,

3 कि यहां से चलकर पूरब ओर मुख करके करीत नाम नाले में जो यरदन के साम्हने है छिप जा।

4 उसी नाले का पानी तू पिया कर, और मैं ने कौवों को आज्ञा दी है कि वे तूझे वहां खिलाएं।

5 यहोवा का यह वचन मान कर वह यरदन के साम्हने के करीत नाम नाले में जा कर छिपा रहा।

6 और सवेरे और सांझ को कौवे उसके पास रोटी और मांस लाया करते थे और वह नाले का पानी पिया करता था।

7 कुछ दिनों के बाद उस देश में वर्षा न होने के कारण नाला सूख गया।

8 तब यहोवा का यह वचन उसके पास पहुंचा,

9 कि चलकर सीदोन के सारपत नगर में जा कर वहीं रह: सुन, मैं ने वहां की एक विधवा को तेरे खिलाने की आज्ञा दी है।

10 सो वह वहां से चल दिया, और सारपत को गया; नगर के फाटक के पास पहुंच कर उसने क्या देखा कि, एक विधवा लकड़ी बीन रही है, उसको बुलाकर उसने कहा, किसी पात्र में मेरे पीने को थोड़ा पानी ले आ।

11 जब वह लेने जा रही थी, तो उसने उसे पुकार के कहा अपने हाथ में एक टुकड़ा रोटी भी मेरे पास लेती आ।

12 उसने कहा, तेरे परमेश्वर यहोवा के जीवन की शपथ मेरे पास एक भी रोटी नहीं है केवल घड़े में मुट्ठी भर मैदा और कुप्पी में थोड़ा सा तेल है, और मैं दो एक लकड़ी बीनकर लिए जाती हूँ कि अपने और अपने बेटे के लिये उसे पकाऊं, और हम उसे खाएं, फिर मर जाएं।

13 एलिय्याह ने उस से कहा, मत डर; जा कर अपनी बात के अनुसार कर, परन्तु पहिले मेरे लिये एक छोटी सी रोटी बना कर मेरे पास ले आ, फिर इसके बाद अपने और अपने बेटे के लिये बनाना।

14 क्योंकि इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यों कहता है, कि जब तक यहोवा भूमि पर मेंह न बरसाएगा तब तक न तो उस घड़े का मैदा चुकेगा, और न उस कुप्पी का तेल घटेगा।

15 तब वह चली गई, और एलिय्याह के वचन के अनुसार किया, तब से वह और स्त्री और उसका घराना बहुत दिन तक खाते रहे।

16 यहोवा के उस वचन के अनुसार जो उसने एलिय्याह के द्वारा कहा था, न तो उस घड़े का मैदा चुका, और न उस कुप्पी का तेल घट गया।

17 इन बातों के बाद उस स्त्री का बेटा जो घर की स्वामिनी थी, रोगी हुआ, और उसका रोग यहां तक बढ़ा कि उसका सांस लेना बन्द हो गया।

18 तब वह एलिय्याह से कहने लगी, हे परमेश्वर के जन! मेरा तुझ से क्या काम? क्या तू इसलिये मेरे यहां आया है कि मेरे बेटे की मृत्यु का कारण हो और मेरे पाप का स्मरण दिलाए?

19 उसने उस से कहा अपना बेटा मुझे दे; तब वह उसे उसकी गोद से ले कर उस अटारी पर ले गया जहां वह स्वयं रहता था, और अपनी खाट पर लिटा दिया।

20 तब उसने यहोवा को पुकार कर कहा, हे मेरे परमेश्वर यहोवा! क्या तू इस विधवा का बेटा मार डाल कर जिसके यहां मैं टिका हूं, इस पर भी विपत्ति ले आया है?

21 तब वह बालक पर तीन बार पसर गया और यहोवा को पुकार कर कहा, हे मेरे परमेश्वर यहोवा! इस बालक का प्राण इस में फिर डाल दे।

22 एलिय्याह की यह बात यहोवा ने सुन ली, और बालक का प्राण उस में फिर आ गया और वह जी उठा।

23 तब एलिय्याह बालक को अटारी पर से नीचे घर में ले गया, और एलिय्याह ने यह कहकर उसकी माता के हाथ में सौंप दिया, कि देख तेरा बेटा जीवित है।

24 स्त्री ने एलिय्याह से कहा, अब मुझे निश्चय हो गया है कि तू परमेश्वर का जन है, और यहोवा का जो वचन तेरे मुंह से निकलता है, वह सच होता है।