Steg _9713: Kungen som skulle ta hänsyn till sina tjänare

 

Studie

     

मत्ती 18:23-35

23 इसलिये स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने दासों से लेखा लेना चाहा।

24 जब वह लेखा लेने लगा, तो एक जन उसके साम्हने लाया गया जो दस हजार तोड़े धारता था।

25 जब कि चुकाने को उसके पास कुछ न था, तो उसके स्वामी ने कहा, कि यह और इस की पत्नी और लड़के बाले और जो कुछ इस का है सब बेचा जाए, और वह कर्ज चुका दिया जाए।

26 इस पर उस दास ने गिरकर उसे प्रणाम किया, और कहा; हे स्वामी, धीरज धर, मैं सब कुछ भर दूंगा।

27 तब उस दास के स्वामी ने तरस खाकर उसे छोड़ दिया, और उसका धार क्षमा किया।

28 परन्तु जब वह दास बाहर निकला, तो उसके संगी दासों में से एक उस को मिला, जो उसके सौ दीनार धारता था; उस ने उसे पकड़कर उसका गला घोंटा, और कहा; जो कुछ तू धारता है भर दे।

29 इस पर उसका संगी दास गिरकर, उस से बिनती करने लगा; कि धीरज धर मैं सब भर दूंगा।

30 उस ने न माना, परन्तु जाकर उसे बन्दीगृह में डाल दिया; कि जब तक कर्ज को भर न दे, तब तक वहीं रहे।

31 उसके संगी दास यह जो हुआ था देखकर बहुत उदास हुए, और जाकर अपने स्वामी को पूरा हाल बता दिया।

32 तब उसके स्वामी ने उस को बुलाकर उस से कहा, हे दुष्ट दास, तू ने जो मुझ से बिनती की, तो मैं ने तो तेरा वह पूरा कर्ज क्षमा किया।

33 सो जैसा मैं ने तुझ पर दया की, वैसे ही क्या तुझे भी अपने संगी दास पर दया करना नहीं चाहिए था?

34 और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे दण्ड देने वालों के हाथ में सौंप दिया, कि जब तक वह सब कर्जा भर न दे, तब तक उन के हाथ में रहे।

35 इसी प्रकार यदि तुम में से हर एक अपने भाई को मन से क्षमा न करेगा, तो मेरा पिता जो स्वर्ग में है, तुम से भी वैसा ही करेगा॥